- राकाँ के बालाजी वानखेड़े ने उठाया मामला
- लचर कार्यप्रणाली को लेकर विधायक मनोहर नाईक से मिला प्रतिनिधिमण्डल
उमरखेड़ (यवतमाल)। तालुका कृषि विभाग का कारोबार रामभरोसे हो चुका है. कृषि कार्यालय के अधिकारियों द्वारा योजनाओं में अनियमितताएँ बरते जाने से मेहनतकश किसानों के कार्य समय पर नहीं हो पा रहे हैं. इसलिए किसानों को एक छोटे से काम के लिए महीनों चपलें घिसनी पड़ रही हैं. ऐसे बेपरवाह अधिकारियों पर आला अफसरों को कार्रवाई कर व्यवस्था में सुधार करने की पहल करनी चाहिए. ऐसी लचर कार्यप्रणाली में सुधार न हुआ तो इसके खिलाफ पार्टी को आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा. यह चेतावनी राष्ट्रवादी काँग्रेस के विस अध्यक्ष युवा नेता बालाजी वानखेड़े ने किसानों की बढ़ती परेशानियों की टोह लेकर दी है.
उन्होंने आगे जानकारी दी कि सरकार द्वारा किसानों को अनुदानित फलबाग योजना अंतर्गत गेंदा व गुलाब की खेती के लिए लाभ दिया जाता है. रबी व खरीफ ऋतु प्राकृतिक आपदाओं के कारण बेकार हो गया. सरकार द्वारा किसानों को माली हालत से उबारने व आत्महत्या रोकने के लिए विविध योजनाएँ संचालित की जाती हैं. इन योजनाओं की सम्पूर्ण जनजागृति की आवश्यकता होने के बावजूद अब तक किसान योजनाओं से अनभिज्ञ हैं. इसका मुख्य कारण अधिकारीवर्ग हैं, जो योजनाओं से राहत नहीं देते हुए जनजागृति तक नहीं कर रहे हैं. तो ऐसे में सवाल उठता है कि किसानों को आखिर राहत कौन देगा?
उन्होंने बताया कि फलबाग योजना अंतर्गत किसानों को पपीता, केला, अनार, संतरा, मोसंबी आदि की फसल के लिए ठिंबक सिंचाई के लिए सरकारी अनुदान में भारी आर्थिक लूट की जाती है और हर वर्ष अनुदान भी नहीं दिया जाता. आर्थिक लूट की चंडाल-चौकड़ी की वजह से परिसर का निरीक्षण अथवा कोई कृषि आधारित कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं. इसकी यदि मौखिक रूप से शिकायत की जानी हो तो किससे करें क्योंकि ये अधिकारी जिले के बाहर से नौकरी करने दफ्तर देर से पहुँचते हैं. इसलिए अन्य विभागों की तुलना में यहाँ अधिक अनियमितताएँ की जाती हैं.
उन्होंने आगे बताया कि कृषि नाला बाँध, सीमेंट प्लग, पाणी आडवा पाणी जिरवा, मिट्टी नाला बाँध, वाटरशेड योजना अंतर्गत कार्य मनमर्जी के ठेकेदारों को देकर लाखों रुपये के बोगस कागजातों पर कार्य किए जाते हैं. किसानों का एक शिष्टमंडल अपभाषा व अनियमितता के इस कारोबार से ध्यानाकर्षित कराने के लिए पूर्व मंत्री विधायक मनोहरराव नाईक के मिल कर समस्याएँ रखीं.

