Published On : Tue, Feb 16th, 2021

वर्तमान करप्रणाली के बोझ से भारतीय व्यापार व व्यापारी पतन की ओर: एन.वी.सी.सी.

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जी.एस.टी. रिर्टन व कम्पलायन्स में सरलीकरण कर करदाता को राहत दे सरकार: एन.वी.सी.सी.

वर्तमान करप्रणाली में रिर्टन व कम्पलायन्स के अधिकता के कारण व्यापारियों को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। विदर्भ के 13 लाख व्यापारियों की अग्रणी व शीर्ष संस्था नाग विदर्भ चेंबर आॅफ काॅमर्स द्वारा आयोजित चेंबर से जुड़े हुये व्यापार संगठन के पदाधिकारियों की सभा में सरकार को जी.एस.टी. के सरलीकरण करने हेतु प्रतिवेदन देने का निर्णय लिया गया। दि. 16 फरवरी 2021 को चेंबर अध्यक्ष श्री अश्विन मेहाड़िया ने सचिव श्री रामअवतार तोतला के साथ वर्तमान करप्रणाली का विरोध दर्शाते हुये श्री रविन्द्रजी खंजाची, उपजिल्हाधिकारी, नागपुर को प्रतिवेदन दिया।

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अध्यक्ष श्री अश्विन मेहाड़िया ने प्रतिवेदन द्वारा सरकार से वर्तमान कर प्रणाली में सरलीकरण करने की मांग करते हुये कहा कि जी.एस.टी. में दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुये रिर्टन व कम्पलांयसेस के कारण सरकार का ‘एक देश-एक कर’ तथा अच्छा व सरल कर का मूल उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है। साथ ही व्यापारी का अधिकांश समय रिर्टन भरने व कम्पलांयसेस करने में निकल रहा है तथा थोड़ी सी भूलचूक होने पर व्यापार के लाभांश का हिस्सा जुर्माना व ब्याज भरने में खर्च हो रहा है।

यह सर्व विदित है कि कोविड-19 की महामारी के कारण भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व के व्यापार प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भारत में लगभग 9 माह के लाॅकडाउन के पश्चात् व्यापारी समुदाय द्वारा सरकारी दिशा-निर्देशो का पालन करते हुये आर्थिक गतिविधियां कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा हैं। ऐसे में सरकार द्वारा दिसंबर 2020 में अधिसूचना क्रं. 94/2020 एवं जनवरी 2021 में अधिसूचना क्रं. 01/2021 जारी कर रिर्टन फाइल करने में करदाता की तकलीफें बढ़ा दी। उपरोक्त अधिूसचना के तहत व्यापारी सप्लायर द्वारा हुई भूलचूक के कारण ITC का क्लेम नहीं कर सकता, जिसका भुगतान व्यापारी द्वारा वस्तु खरीदते समय पहले ही किया जा चुका होता है। इतना ही नहीं सप्लायर द्वारा रिर्टन फाइल करने में हुई भूल का जुर्माना व ब्याज भी खरीददार को भरना पड़ता है जो कि न्यायसंगत नहीं है।

चेंबर के सचिव श्री रामअवतार तोतला ने कहा कि जी.एस.टी. विभाग द्वारा अब तक रिर्टन व कम्पलायन्स संबंधी 900 से अधिक बदलाव किये गये। जी.एस.टी. के मुख्य उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु सरकार ने निम्न सुझाव को अमल में लाकर व्यापारियों को राहत देना चाहिये। जी.एस.टी. चालान GSTR-3B के आधार पर न करते हुये पेमेंट भुगतान के आधार पर किया जाना चाहिये। जिन करदाता का वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ से कम है उनके लिये सप्लाय की तारीख पेमेंट प्राप्ती की तारीख के आधार पर किया जाना चाहिये। राष्ट्रीय Advance Ruling Authority तथा अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन किया जाना चाहिये।

VAT एवं ैService Tax विभाग द्वारा करदाता को बहुत सारे नोटिस भेजे जा रहे, जिसमें व्यापारियों को राहत देना चाहिये। टैक्स जांच-पड़ताल संस्थाओं विशेषकर DGGI द्वारा कर संबंधी जांच-पड़ताल के दौरान करदाता को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रिर्टन व कम्पलायन्स संबंधी नई अधिसूचना जारी करने के पश्चात् उसे अमल में लाने हेतु करदाता का पर्याप्त समय दिया जाना चाहिये। जी.एस.टी. संबंधी मुद्दों का हल करने के लिये देश के प्रत्येक जिले में वरिष्ठ जी.एस.टी. अधिकारी व व्यापार प्रतिनिधी को मिलाकर “जी.एस.टी. समिती” का गठन में किया जाना चाहिये।

जिन करदाता का वार्षिक टर्न ओवर 100 करोड़ से कम है उन पर ई-बिल से लागू नहीं किया जाना चाहिये या 31 मार्च 2022 के बाद उनके लिये ई-बिल लागू किया जाना चाहिये। यदि जी.एस.टी. विभाग द्वारा ई-बिल, जी.एस.टी. पोर्टल, रिर्टल, कम्पलायन्स या जी.एस.टी. संबंधी कोई भी बदलाव किये जाते है तो उनकी सूचना करदाता को email/SMS/Whatsapp द्वारा देनी चाहिये। वर्ष 2019-20 के लिये GSTR-9 व GSTR-9C अंतिम तारीख 28 फरवरी 2021 है जिसे आगे बढ़ाया जाना चाहिये।

वर्तमान कोरोना महामारी के कारण व्यापारियों की आर्थिक स्थिती पहले ही चरमरा गई है। अतः ऐसे समय में आयकर विभाग द्वारा अत्याधिक लेट फी व जुर्माना के साथ भुगतान असहनीय है। इस पर अवश्य विचार कर करप्रणाली में सरलीकरण कर करदाता को राहत देना चाहिये।

कन्फडरेशन आॅफ आॅल इंडिया टेªडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया द्वारा संपूर्ण भारत में वर्तमान कर प्रणाली के सरलीकरण हेतु मुहिम चलाई जा रही है। जिसके तहत व्यापारिक हितों के लिये व्यापारियों के साथ चेंबर भी उनकी मुहिम में पूर्णतः सहयोग करेगा।

उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति द्वारा सचिव श्री रामअवतार तोतला ने दी।

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