अकोला। 18 वर्ष की आयु से ऊपर के युवक-युवतीयां एवं 18 वर्ष से नीचे की आयु के युवक-युवतियों के लापता होने का औसत बढ गया है. विगत वर्ष लापता 202 युवकों में से 64 तथा युवतियों में से 48 का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है. जबकि नाबालिग बच्चों में तीन लडके एवं सात लडकियों का अब तक पता नहीं चल पाया है. यह जानकारी पुलिस रिकार्ड से प्राप्त हुई है.
किशोर अवस्था से युवा अवस्था में कदम रखने के दौरान युवक-युवतियों में बढनेवाले आकर्षण के चलते कई बार प्रेमी युगल घर से भाग निकलते हैं. इसके अलावा कई मामलों में युवतियों को फुसलाकर भगाने का मामला भी सामने आता है. सन 2014 के जनवरी से दिसंबर तक के पुलिस आंकडों पर नजर डालें तो जिले में लापता युवक-युवतियों की संख्या काफी अधिक दिखाई देती है, जिनमें से 100 से अधिक युवक आज भी लापता है.
जानकारी के अनुसार सन 2014 में 18 वर्ष से ऊपर के 202 युवक लापता होने की शिकायत विभिन्न थानों में दर्ज कराई गई, जिनमें से 138 युवक मिल गए, लेकिन 64 युवकों का आज तक पता नहीं चल पाया है. इसी कडी में विगत वर्ष 216 युवतियों के गुम होने की शिकायत विभिन्न थानों में की गई उनमें से 168 युवतियां खोज लि गई या वापस आ गई. जबकि 48 युवतियां आज भी लापता बताई जा रही हैं. लोक लाज के भय के चलते अनेक अभिभावक लडकी के घर से भागने या लापता होने की सूरत में बदनामी से बचने के लिए थानों में शिकायत दर्ज नहीं करवाते. 18 वर्ष से कम आयु के किशोर युवक-युवतियों में भी घर से भागने या लापता होने का औसत बढ रहा है. इस वर्ष कुल 61 लडकों के गायब होने की शिकायत थानों में दर्ज कराई गई, जिसमें से 58 का पता चल गया. तीन आज भी लापता माने जा रहे हैं. जबकि पिछले वर्ष 98 किशोरियां गायब हुई, 81 तो वापस आ गई लेकिन सात लडकियां आज भी गायब हैं. पुलिस प्रशासन इसे गंभीरता से लेते हुए गुमशुदा चेहरों को खोजने में लगा हुआ है. पुलिस प्रशासन का मानना है कि यदि इस तरह की घटनाएं रोकनी है तो संबंधित परिवाजनों को अधिक सतर्क रहना चाहिए.
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