नागपुर: जिला न्यायालय ने एक पुराने मामले में नगर निगम (मनपा) द्वारा की गई अधूरी तोड़ू कार्रवाई की जांच के आदेश दिए हैं। वर्ष 2005 में दाखिल MCA क्रमांक 395/2005 के तहत अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश 28 सितंबर 2012 को जारी किए गए थे, लेकिन याचिकाकर्ता सुधाताई बावने ने दावा किया कि मनपा ने आदेश का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया। इसी के तहत अब न्यायालय ने कोर्ट-कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश जारी किया है।
जिला न्यायाधीश-8 सुनील हाके ने अधिवक्ता रौनक रांका को कोर्ट-कमिश्नर नियुक्त करते हुए संपत्ति का स्थानीय निरीक्षण कर तीन माह के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता को कमिश्नर शुल्क ₹3,000 एक माह के भीतर जमा करने और आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने के आदेश भी दिए गए हैं।
केवल 12 वर्ग फुट का हिस्सा तोड़ा गया?
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि कोर्ट द्वारा 300 वर्ग फुट का संपूर्ण अनधिकृत निर्माण तोड़ने के आदेश दिए गए थे, लेकिन मनपा ने केवल 12 वर्ग फुट क्षेत्र ध्वस्त किया है। मनपा ने जवाब में दावा किया कि उसने 3 बाय 4 वर्ग मीटर क्षेत्र तोड़ा है और इस कार्रवाई के प्रमाणस्वरूप तस्वीरें भी अदालत में प्रस्तुत की हैं।
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मात्र तस्वीरों के आधार पर यह तय नहीं किया जा सकता कि 28 सितंबर 2012 के आदेशों का पालन पूरी तरह से हुआ है या नहीं। इसी कारण कोर्ट ने संपत्ति का भौतिक निरीक्षण आवश्यक माना।
मनपा का विरोध, पर कोर्ट का आदेश बरकरार
मनपा की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील ने कोर्ट-कमिश्नर की नियुक्ति का विरोध करते हुए कहा कि तोड़ू कार्रवाई आदेशों के अनुसार पूरी की गई है और अब किसी निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने आवेदन को खारिज करने की मांग की।
हालांकि कोर्ट ने यह मानते हुए कि प्रस्तुत तस्वीरें पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं, कोर्ट-कमिश्नर की नियुक्ति को न्यायसंगत ठहराया। अब कोर्ट-कमिश्नर अधिवक्ता रौनक रांका को तीन माह के भीतर विवादित संपत्ति का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी।









