Published On : Sat, Dec 6th, 2014

यवतमाल : तेलंगाना के बाद आंध्र में भी फसल कर्ज माफ

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तो महाराष्ट्र में कब होगी कर्ज माफी?

यवतमाल। लोकसभा, विधानसभा चुनाव में किसानों को कर्जमाफी का वादा देनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अब कब अपनी घोषनाओं पर अमल करेंगे? इस ओर सभी किसानों की नजरें लगी है. तेलंगना के बाद आंध्र में भी फसलकर्ज माफ कर दिया है. राज्य के असिंचाईवाले किसानों को कर्जमाफी नहीं देना ही आत्महत्या की पहली सिडी बन चुकी है. राज्य के कृषि के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुधिर गोयल को इसी सप्ताह नई दिल्ली में यह बात किशोर तिवारी ने बताई, ऐसा भी उन्होंने कहा है. पहले तेलंगाना और अब आंध्रा सरकार ने किसानों को पूरा फसल कर्ज माफ किया है. मगर राष्ट्रीयकृत बैंक इस कर्जमाफी को विरोध कर रहीं है. तो दूसरी ओर मोदी सरकार ने बैंकों ने कोई माफी ना दें, ऐसा आदेश देने से किसान नये फसल कर्ज से वंचित है. किसान विरोधी नीति के निशान राज्य में दिखाई दें रहें है. जिससे राज्य में भाजपा-सेना भी नागपूर शितसत्र में कह सकती है, कि हम मजाक कर रहें थे और आपने सच मान लिया, ऐसा आरोप भी किशोर तिवारी ने किया है. कपास और सोयाबीन को गत तिन वर्षों से दिया जानेवाला गैरंटीमूल्य किसानों पर अन्याय है. इसलिए किसान आत्महत्या कर रहें है.

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया फार्मूला लागत पर 50 फिसदी मूनाफा पर कब अमल होगा? इस फॉर्मूले से कपास को 6 तो सोयाबीन को 5 हजार का मूल्य केंद्र और राज्य की भाजपाई सरकार क्यों नहीं दें रहीं? ऐसा सवाल भी उन्होंने पूछा है. तो किसान आत्महत्या बढ़ेंगी इन दिनों किसान बेहाल है, उसके पास दो वक्त खाने के लिए जुगाड़ नहीं है. कहीं से पैसे मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है. कोई ऐसी आशा की किरण भी नहीं है, आज नहीं तो कल उनके अच्छे दिन आएंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान यही जनता की नब्ज पकड़ी थी. और सुनहरा सपना दिखाया था. लोगों ने भी उनकी बात सच मानकर राज्य और केंद्र में सत्ता दे दी.

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मगर अच्छे दिन आने का कोई अतापता नहीं है. सत्ताप्राप्ती के लिए जिन भाजपाई नेताओं ने किसान आत्महत्या को सिडी बनाई थी, आज वे किसी भी किसान आत्महत्या की  घटना होने के बाद उनके यहां जाना भी पसंद नहीं करते है. इसलिए निराश किसानों की प्रतिदिन 5 की संख्या में आत्महत्या हों रही है. अगर यही सिलसिला रहा तो आगामी कुछ माह में यह संख्या दुगनी होकर प्रतिदिन 10 किसानों की आत्महत्याएं हो सकती है. इसलिए सरकार को चाहिए कि, प्रति किसान को प्रति हे टेयर 25 हजार रुपए का अनुदान, कर्जमाफी कर नया फसल कर्ज दें, किसान और किसान मजदूरों को अंत्योदय योजना का लाभ दें, सभी किसानों को रोगायो योजना से 100 दिन काम मिले, इन लोगों के नि:शुल्क स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा तथा उनके कन्याओं के ब्याह के लिए अनुदान दें. ऐसा सूझाव भी किशोर तिवारी ने दिया है.”

Representational Pic

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