नागपुर: नागपुर में क्लब और लाउंज संस्कृति एक बार फिर कानून को खुली चुनौती देती नज़र आ रही है। इस बार मामला और भी गंभीर है, क्योंकि ₹1.16 लाख की अवैध विदेशी शराब जब्त होने के बावजूद, उससे जुड़े हाई-एंड क्लब संचालक पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
स्थानीय हिंदी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 दिसंबर की रात करीब 9 बजे बजाज नगर पुलिस की गश्ती टीम ने बजाज नगर चौक स्थित पीवीके वाइन शॉप के पास एक संदिग्ध थार SUV (UP 16 DC 3444) खड़ी देखी। तलाशी लेने पर वाहन के भीतर अलग-अलग बॉक्स में छुपाकर रखी गई महंगी विदेशी शराब की बोतलें और बीयर के कार्टन बरामद हुए।
SUV में मौजूद व्यक्तियों की पहचान पंढराबोड़ी निवासी सुनील शामराव उईके (54) और पुलगांव निवासी योगेश दत्तू मेश्राम (34) के रूप में हुई। दोनों कोई वैध बिल या दस्तावेज़ पेश नहीं कर सके। पुलिस ने ₹1.16 लाख की अवैध शराब और वाहन जब्त कर लिया, जिसकी कुल कीमत ₹19.16 लाख आंकी गई है। महाराष्ट्र मद्य निषेध अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया गया।
वाहन क्लब मालिक का, नाम FIR से गायब
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब्त की गई SUV कथित तौर पर तौसीफ उर्फ़ जानू के नाम पर है, जो धरमपेठ एक्सटेंशन स्थित एक हाई-राइज़ इमारत में चल रहे आधुनिक डाइन-इन क्लब का संचालक है। बावजूद इसके, पुलिस ने अब तक उसे आरोपी नहीं बनाया है, जबकि उसका व्यवसाय सीधे शराब से जुड़ा हुआ है।
यह चयनात्मक कार्रवाई इसलिए भी चौंकाती है, क्योंकि छोटे-मोटे शराब विक्रेताओं को पाँच-दस बोतलें मिलने पर भी तुरंत जेल भेज दिया जाता है, लेकिन यहाँ भारी मात्रा में पकड़ी गई शराब के मामले में “मुख्य किरदार” कानून से बाहर दिखाई दे रहा है।
आबकारी विभाग की रहस्यमयी चुप्पी
इस पूरे मामले में आबकारी विभाग की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। कानून के अनुसार अवैध शराब की खरीद-फरोख्त में ट्रांसपोर्टर, खरीदार और सप्लायर-तीनों पर कार्रवाई होनी चाहिए। बिना बिल शराब देने वाली वाइन शॉप पर भी केस दर्ज किया जा सकता है, लेकिन कथित तौर पर जिस दुकान से शराब ली गई, उसके खिलाफ अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले क्राइम ब्रांच यूनिट-5 ने कुख्यात शराब माफिया चेलानी से ₹40 लाख की शराब जब्त की थी। जांच में सामने आया था कि शहर के कई बार और क्लबों में अवैध रूप से प्रीमियम शराब सप्लाई की जा रही थी। वह मामला भी धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया।
हर नियम की धज्जियाँ उड़ाते क्लब
नागपुर में कई क्लब बेसमेंट से लेकर ऊँची इमारतों की ऊपरी मंज़िलों तक चल रहे हैं, वह भी फायर सेफ्टी नियमों को ताक पर रखकर। बड़ा सवाल यह है कि क्या इन क्लबों के पास फायर विभाग की वैध एनओसी है?
नियम साफ़ कहते हैं कि जहाँ डांस परफॉर्मेंस होती है, वहाँ शराब परोसना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद डांस फ्लोर और शराब एक ही छत के नीचे धड़ल्ले से चल रही है। परफॉर्मेंस लाइसेंस, जो अनिवार्य है, ज़्यादातर क्लबों के पास नहीं है। फिर भी पुलिस और आबकारी विभाग की निष्क्रियता हैरान करने वाली है।
सूत्रों के मुताबिक, इसी क्लब से दुबई-आधारित क्रिकेटर हितेश का भी कथित संबंध बताया जा रहा है। इतना महंगा विदेशी शराब का जखीरा व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए नहीं, बल्कि व्यावसायिक खपत के लिए ही था — यह लगभग साफ़ है।
क्या केस पहले ही ठंडे बस्ते में?
सबसे अहम सवाल अब भी जस का तस है -बिना किसी लिखित लेन-देन के शराब देने वाली वाइन शॉप पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? आमतौर पर ऐसे मामलों में दोनों पक्षों को आरोपी बनाया जाता है। बजाज नगर पुलिस की आगे बढ़ने में हिचक यह संकेत दे रही है कि यह मामला भी शायद पहले ही ठंडे बस्ते में डाला जा चुका है।
नागपुर में बेलगाम क्लब संस्कृति, प्रशासनिक उदासीनता और चयनात्मक कार्रवाई अब सिर्फ़ कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि शासन, सार्वजनिक सुरक्षा और न्याय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।








