Published On : Sat, May 25th, 2019

उपेक्षा : सरकार की सुस्त नीति के चलते कागजों पर ही मिल रही युवाओं को कृषि की प्ररणा

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पांधन रास्तों के लिए कोई फंड नहीं

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नागपुर: जिले में कृषि के लिए युवाओं को प्रेरित करने और खेतों के लिए जानेवाले पांधन रास्तों को तैयार करने के लिए सरकार के पास निधि देने का कोई प्रावधान नहीं.

सरकार वीआर यानी विलेज रोड के लिए जरूर निधि देती है लेकिन पांधन की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है. जिले में सभी तहसीलों में पांधन रास्तों का सर्वे तात्कालीन जिलापरिषद के पदाधिकारियों ने सभी तहसीलदारों के माध्यम से करवाया था. उस दौरान कुल 9466.55 किमी सरकारी पांधन का प्रस्ताव तैयार कर उन्होंने सरकार से 704.37 करोड़ रुपए की निधि जिले के लिए चार चरणों में मांगी थी. उनके प्रस्ताव को कृषि विकास योजना में शामिल भी किया गया लेकिन वर्ष 2008 का यह प्रस्ताव के लिए अब तक सरकार द्वारा अलग से कोई निधि देने का प्रावधान राज्य या केन्द्र सरकार द्वारा नहीं किया गया.

बावनकुले ने दी 2-2 करोड़ की दी थी निधि
पिछले वर्ष ही पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जिले के ग्रामीण भागों के 6 विधायकों को उनके क्षेत्र में पांधन रास्तों के लिए 2-2 करोड़ रुपये की निधि दी थी. यह पालकमंत्री पांधन सड़क योजना के तहत दिया गया. लेकिन जिला परिषद के पदाधिकारियों या सदस्यों को उनके सर्कल में पांधन के लिए एक रुपया भी नहीं दिया गया. कुछ सदस्यों का कहना है कि विधायकों ने 20-25 लाख रुपये की लागत के पांधन अपने क्षेत्र में बना लिए. अगर 5-5 लाख रुपयों के पांधन लिये जाते तो अधिक किसानों को इसका लाभ मिलता. याद रहे कि जब जिला परिषद् में नितिन राठी उपाध्यक्ष थे तब उन्होंने पांधन के लिए सभी जिप सदस्यों की निधि से 2-2 लाख रुपये का प्रावधान करने का प्रस्ताव आमसभा में रखकर मंजूरी दी थी. उनके कार्यकाल में पांधन पर ध्यान दिया गया था.

सीडीपी फंड से कर रहे कार्य
पांधन के लिए अलग से कोई निधि की व्यवस्था नहीं होने के चलते वे 17 सीडीपी निधि से पांधन के कार्य जनसहभागिता से करवाने का प्रयास करते हैं. उक्त हेड से 10 लाख रुपये मिलते हैं जिससे 2-2 लाख रुपये के 5 छोटे पांधन के ही कार्य हो पाते हैं. वैसे जिले में वे किसानों से चर्चा कर निजी रूप से उनके खेतों में पांधन निर्माण के लिए तैयार करने का काम भी कर रहे हैं.

विलेज रोड योजना में शामिल हो पांधन
जिले के 9466 किमी पांधन के लिए अगर सरकार अलग से निधि का प्रावधान नहीं कर सकती तो उसे वीआर यानी ग्रामीण रास्तों में शामिल करे ताकि वीआर हेड के लिए मिलने वाली निधि से पांधन का निर्माण किया जा सके. इस आशय का पत्र उन्होंने संबंधित मंत्री को भेजा है. उनका कहना है कि जिले की सड़कों के लिए जो 20-20 वर्षों का प्लान बनता है उसकी अवधि 2021 को समाप्त हो रही है. सरकार आगामी 20 वर्षीय योजना में पांधन को वीआर रास्तों में डाले.

जिले में कुल 4430 किमी है पांधन
विगत वर्षो सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की थी उसमें जिले की 4430 पांधन रास्तों का समावे्श था. जिनकी कुल लंबाई 9466 किमी है. इसमें नागपुर ग्रामीण में 1270 किमी, हिंगना 449 किमी, कुही 864 किमी, मौदा 918 किमी, पारशिवनी 416 किमी, नरखेड 918 किमी, रामटेक 146 किमी, उमरेड 955 किमी, काटोल 883 किमी, भिवापुर 767 किमी, कामठी 441 किमी, सावनेर 781 किमी, कलमेश्वर तहसील में 659 किमी पांधन का समावेश है. उनके ‘खेतों में सड़क’ के प्रस्ताव को तब राज्य सरकार के कृषि विभाग ने अपनी योजना में शामिल किया. विभाग ने सभी जिलों को इसी तरह का रोडमैप तैयार करने का निर्देश भी दिया था. पांधन के प्रस्ताव को वर्ष 2008-09 के सी-डैप के प्रस्ताव में शामिल किया गया था लेकिन अब तक इसके लिए सरकार ने अलग से निधि देने का कोई प्रावधान नहीं किया है.