Published On : Fri, Apr 16th, 2021

इंसानियत शर्मसार: हिंगना के गायकवाड़ हॉस्पिटल में 2.50 लाख रुपए के लिए 30 घंटो से रखा है बुजुर्ग महिला का शव

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नागपुर – देश मे कोरोना का संक्रमण बढ़ने से हजारों लोगों की रोजाना मौतें हो रही है. नागपुर शहर भी इससे अछूता नही है. ऐसे संक्रमण में हॉस्पिटल्स की मानवता और संवेदनशीलता पर भी सवाल उठ रहे है. मरीजों के परिजनों से लाखों रुपए वसूलने के मामले भी बढ़ गए है. ऐसा ही एक मामला हिंगना के गायकवाड़ हॉस्पिटल में सामने आया है. जिसमें हॉस्पिटल प्रशासन ने मानवता की सारी सीमाएं लांघ दी है. हॉस्पिटल के भीतर पिछले 30 घंटे से बुजुर्ग महिला का शव रखा है, लेकिन परिजनों को शव देने के लिए 2.50 लाख रुपए के बिल भरने की मांग की जा रही है.
लेकिन सबसे बड़ी बात और हैरानीवाली बात यह है कि जिलाधिकारी और तहसीलदार भी इस मामले में कुछ नही कर सके.

देवनगर निवासी 65 वर्षीय निर्मला शेंडे को 13 दिन पहले कोरोना होने के कारण हिंगना के गायकवाड़ हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. बुजुर्ग महिला का बेटा पानठेला चलाता है. हॉस्पिटल में भर्ती कराते समय यहां के संचालक ने कहा था कि 1 लाख रुपए में इलाज हो जाएगा. लेकिन कल 15 अप्रैल को सुबह 11 बजे महिला की मौत हो गई. जब मृतक का शव लेने के लिए उनके परिजनों ने मांग की तो हॉस्पिटल की ओर से उन्हें 2.50 लाख रुपए का बिल थमाया गया. जब उन्होंने कहा कि बात तो 1 लाख की हुई थी ,तो उन्हें 2.50 लाख रुपए देने के बाद ही शव देंगे ऐसा कहा गया. इसके बाद मृतक के बेटे ने इतने पैसे भरने में असमर्थता दर्शायी. पैसे नही देने पर हॉस्पिटल की ओर पिछले 30 घंटे से मृतक बुजुर्ग महिला का शव हॉस्पिटल में रखा हुआ है.

इस मामले की जानकारी जब महाराष्ट्र कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के सचिव सलीम खान को मिली. तो उन्होंने हॉस्पिटल के संचालक से फोन पर बात की. संचालक ने सीधे सीधे कहा कि पैसे उन्हें देने ही पड़ेंगे और मरीज के परिजनों ने ही कहा था कितना भी पैसा लगे तो वे देंगे. इसके बाद सलीम खान ने बिल को लेकर बात कही तो संचालक ने कहा कि 10 हजार तक कम कर सकते है. इसके बाद हॉस्पिटल के संचालक ने यह भी कहा कि आप जिलाधिकारी से बात कर लीजिए.

इसके बाद सलीम खान जिलाधिकारी से मिले तो जिलाधिकारी ने कहा कि वे 25 हजार रुपए कम कर सकते है, इसके बाद जिलाधिकारी ने खान को तहसीलदार से मिलने की सलाह दी. इसके बाद खान जब तहसीलदार से मिले तो तहसीलदार ने कहा कि उनके भी रिश्तेदार जब हॉस्पिटल में थे, तब उन्होंने भी पैसे भरे थे और वे भी परेशान हुए थे. लेकिन इस मामले में जिलाधिकारी, तहसीलदार ने किसी भी तरह की कोई भी मदद मृतक के परिजनों की नही की. इसके बाद खान पालकमंत्री नितिन राऊत के पास पहुंचे, लेकिन इसके बाद भी जिलाधिकारी ने किसी भी तरह की कोई मदद नही की.