नागपुर: श्रीमद् भागवत की पुण्यमयी कथा प्राणी के समस्त पाप, ताप, संताप को हरने वाली है. इस कथा के श्रवण मात्र से कष्टों के साथ-साथ प्रेत पीड़ा से भी मुक्ति मिल जाती है. धुंधकारी जैसे प्रेत योनि में फंसे प्राणी को भी सद्गति श्रीमद् भागवत कथा सुनने से प्राप्त हुई. उक्त उद्गार कुलदेवी महिला मंडल की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव के प्रथम दिवस चित्रकूट निवासी कथाकार बाल व्यास योगेश कृष्ण जी महाराज ने व्यक्त किए. कथा का आयोजन नवदुर्गा मंदिर, नवाबपुरा, लकड़ापुल, आयचित मंदिर स्टाॅप के आगे किया गया है.
कथा से पूर्व मंदिर परिसर से मंगलकलश यात्रा क्षेत्र का भ्रमण कर वापस कथा स्थल पर पहुंची. मंगलकलश यात्रा में 101 महिलाएं सिर पर कलश धारण कर आगे चल रही थीं. पश्चात श्रीमद् भागवत की पोथी रख महिला मंडल की सदस्याएं चल रही थीं. शोभायात्रा में कथावाचक बाल व्यास योगेश कृष्ण जी महाराज का रथ, आरती की धुन में बैंड, घोड़े आदि शामिल थे. जगह- जगह शोभायात्रा का स्वागत किया गया.
कथा व्यास ने आगे कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण सभी शास्त्रों का सार है. जीव भी भगवान का शाश्वत अंश है और इसलिए जीव का सहज स्वभाव है भगवान का हो जाना. जब तक जीव भगवान से संबंध नहीं जोड़ लेता तब तक दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं जो उसकी पीड़ा को हर ले. जब तक हम किसी चीज का महत्व नहीं जान लेते तब तक उसे समझने के लिए समय नहीं देते.
आज व्यासपीठ का पूजन महिला मंडल की अनिता दीक्षित, पूजा सोलंकी, माया सोनुले, सविता मेंढेकर, शोभा धोपटे, जया वारूलकर, शारदा पवार, सुनीता चैहान, रूक्मिणी राजकुमार, कंचन पवार, सरिता गहेरवार, संध्या आमदरे, जया वाघ, रूपाली नाकाड़े, ज्योति दिल्लीवाल, शालिनी मानापुरे, सविता ठाकुर, कल्याणी बैस, संजीवनी प्राणायाम, मीना बैस, शैला चंदेल, रीना राजुरकर, गायत्री कोहले, सुनीता बैस, अरूणा इटनकर, शेवंता शेंडे ने किया. कथा का समय दोपहर 3 से 6 रखा गया है. इस अवसर पर अधिक से अधिक संख्या मंे उपस्थिति की अपील की गई है.












