Published On : Wed, Oct 4th, 2017

पेट्रोल-डीजल पर ड्यूटी घटाने से सरकार की बढ़ेगी मुसीबत

Advertisement


नई दिल्ली:
आम जनता के विरोध और विपक्षी दलों के दबाव के चलते केंद्र सरकार घुटने टेकने को मजबूर हुई. बुधवार से सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है, जिससे सरकारी खजाने को 26,000 करोड़ रुपये की सालाना चपत लगेगी.

सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा कि ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है. सरकार ने तर्क दिया कि ड्यूटी में कटौती से ग्राहकों को तेल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी, जो दिल्ली में अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच चुकी है.

सरकार के लिए यह काफी कठिन फैसला था, मगर चौतरफा दबाव और बदनामी के चलते यह कदम उठाना अनिवार्य हो गया था. अर्थव्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ती जा रही है, जो रोजाना तूल पकड़ रहा है. ऐसे में सरकार 50,000 करोड़ रुपये बाजार में फूंकने की कोशिश कर रही है. मगर एक्साइज ड्यूटी में कटौती ने इस खर्च को और भी मुश्किल कर दिया है.

Gold Rate
29 May 2025
Gold 24 KT 95,000/-
Gold 22 KT 88,400/-
Silver/Kg 98,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

कारोबारियों के अनुसार, उन्होंने जुलाई महीने में 65,000 करोड़ रुपये के इनपुट क्रेडिट के लिए आवेदन भरा हुआ है. यह जुलाई में हुई सरकारी की आमदनी का करीब 70 फीसदी हिस्सा है. सरकार ने जुलाई में जीएसटी की पहली किश्त में 95,000 करोड़ रुपये बटोर कर अपनी पीठ थपथपाई थी.

ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए का कहना है कि ड्यूटी में कटौती से सरकारी खजाने को 16 बेसिस अंकों की चपत लगेगी. मौजूदा वित्त वर्ष में चालू खाता घाटा भी चार वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. भारत में आयात-निर्यात से जीडीपी 2.4 फीसदी अधिक हैं.

आर्थिक मोर्च पर कमजोर पड़ी सरकार के लिए ड्यूटी में कटौती मजबूरी बन गई थी. इससे पहले जेटली ने तेल की कीमतों में किसी प्रकार के सरकार हस्ताक्षेप से इनकार कर दिया था. जेटली ने कहा था कि सरकार को विकास कार्यों के लिए पैसे की जरूरत है, अन्यथा विकास पर असर पड़ेगा.

उन्होंने कहा, “आपको यह मालूम होना चाहिए कि सरकार चलाने के लिए राजस्व जरूरी है. इसके बिना आप न ही इंफ्रास्ट्रक्चर बना पाएंगे और न ही सुविधाएं दे पाएंगे.”

अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ रही नकारात्मकता के बीच, सरकार ने तेल पर एक्साइज ड्यूटी को घटाकर अपने हाथ बांध लिए हैं. ऐसा लगता है कि यह फैसला आर्थिक सुधार का न होकर, राजनैतिक दबाव में लिया गया है. देश के कई बड़े शहरों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement