Published On : Thu, Aug 22nd, 2019

राष्ट्रीय गान का मान या अपमान

नागपुर मनपा की सभागृह के एक ही सभा में दो बार राष्ट्रीय गीत गाया गया,पहली दफे महापौर नहीं उठी तो बसपा सह कांग्रेस ने राष्ट्रीय गीत का अपमान करने का आरोप लगाया तो सत्तापक्ष ने असमय राष्ट्रीय गीत गाने के पहलकर्ता पर क़ानूनी कार्रवाई की मांग प्रशासन से की.

नागपुर : मनपा में सत्तापक्ष कुल सदस्यों की संख्या का तीन हिस्सा हैं और अन्य दल काफी अल्पमत में हैं.इसलिए आमसभा में सत्तापक्ष को मनमाफिक विषयों की मंजूरी मिल जाती हैं.आंकड़ों के खेल में विपक्ष सह अन्य दल हमेशा गस्त खाता रहा.इसी क्रम में आज की आमसभा में जब कांग्रेसी नगरसेवकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो अचानक राष्ट्रीय गीत “जन-गण-मन” गाना शुरू कर दिए.

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राष्ट्रीय गान का सम्मान करते हुए महापौर छोड़ सभी जगह से उठे,जिसका बसपा सह कांग्रेस ने सिरे से विरोध किया तो दूसरी ओर सत्तापक्ष ने विपक्ष के कृत का निषेध करते हुए कानून में प्रावधान के तहत कठोर कार्रवाई की मांग की.कुल कृत मनपा इतिहास में काला दिन कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।

ज्ञात हो कि कांग्रेस के नगरसेवक कमलेश चौधरी ने मनपा के अस्थाई वाहन चालकों को स्थाई करने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मनपा प्रशासन इस सन्दर्भ में ३-३ दफे न्यायालय में हारने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं दे रहा.

इस मसले का जवाब देते हुए अतिरिक्त आयुक्त शेख अज़ीज़ ने कहा कि उक्त मामले को लेकर मनपा सुप्रीम कोर्ट में गई हैं.इस पर महापौर नंदा जिचकर व पूर्व महापौर प्रवीण दटके ने कहा कि उक्त मांगकर्ता अगर समझौते को तैयार हैं अर्थात ‘बैक वेजेस’ की मांग वापिस लें तो मामला आज ही रफा-दफा हो सकता हैं.

इसी बीच मनपा के स्वास्थ्य समिति सभापति विक्की कुकरेजा ने सहजता से सवाल उठाया कि प्रशासन इसकी भी जानकारी दें कि क्या न्यायालयीन प्रकरण पर मनपा सभागृह में चर्चा हो सकती हैं.इसका जवाब देते हुए अज़ीज़ ने सभागृह को जानकारी दी कि न्यायालयीन विषय पर चर्चा करना योग्य नहीं।
अज़ीज़ के जवाब से विपक्ष बौखला गया और कमलेश चौधरी ने गुस्से से तर-ब-तर होकर विषय पत्रिका के टुकड़े-टुकड़े कर महापौर के समक्ष उछाला।

इसी बीच कांग्रेस के नगरसेवकों ने सत्तापक्ष-मनपा प्रशासन के नित से खफा होकर राष्ट्रीय गीत “जन-गण-मन” का गायन करना शुरू कर दिए.उपस्थितों को मामला समझा नहीं और एक-एक करके सभी इस राष्ट्रीय गान में सरिक हो गए.इस क्रम में महापौर नंदा जिचकर भी उठ रही थी कि उसके निकट खड़े उनके सहायक ने उन्हें बैठे रहने का सुझाव दिया तो वह राष्ट्रिय गान के दौरान बैठी रही.इसके संपन्न होते ही सम्पूर्ण विपक्ष सभा त्याग कर दिया।
सभागृह के कामकाज के अंत में मनपा के वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने कहा कि विपक्ष के २-३ नगरसेवकों ने असमय राष्ट्रीय गान का गायन कर उसकी संहिता और नियमावली का अपमान किया हैं जिसका वे निषेध करते हैं.इस कृत के कर्ताओं को मनपा प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी करना चाहिए।तथा उक्त घटनाक्रम को आमसभा के कामकाज से बाहर किया जाए.पूर्व महापौर दटके ने कहा कि उक्त कृतकर्ताओं ने माफ़ी नहीं मांगी तो उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की.

वहीं बसपा पक्ष नेता वैशाली नारनवरे ने कहा कि उक्त राष्ट्रीय गान के दौरान महापौर का जगह पर बैठा रहना अनुचित हैं.इसके तुरत बाद दटके ने महापौर के बचाव में तकनिकी कारण देकर मामला शांत किया।

अंत में सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी ने दटके-तिवारी की मांग का समर्थन करते हुए महापौर से निर्देश देने की सिफारिश की.

इसके बाद विषय पत्रिका के विषयों पर तय रणनीति के तहत निपटारा किया गया और दूसरी दफे राष्ट्रीय गान अधिकृत रूप से गायन कर उसकी समाप्ति बाद सभागृह का कामकाज अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।सभागृह के बाहर कुछ कांग्रेसी नगरसेवक महापौर के कृत से नाराज होकर उन पर राष्ट्रीय गान का अपमान करने का आरोप लगाए।

उल्लेखनीय यह हैं कि पहला सवाल यह हैं कि एक तरफ प्रशासन कह रहा कि न्यायालयीन मामला तो फिर इसे विषय पत्रिका में स्थान क्यों दिया गया.
दूसरा सवाल सत्तापक्ष ने उठाया कि क्या कांग्रेसी चुनिंदा नगरसेवकों को आज देशपांडे हॉल में आयोजित अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जाना था इसलिए उक्त हथकंडा अपनाएं।

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