हिंगनघाट (वर्धा)। धर्मांध शक्तियों को रोकने के लिए रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया 191 का सत्ता में आना आवश्यक है. रिपाई 191 ही बाबासाहब की मूल पार्टी है. इसी के मद्देनजर रिपाई के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राजेंद्र गवई ने लोकसभा चुनाव से पार्टी के अस्तित्व और स्वाभिमान की लड़ाई शुरू की है. इसी पार्टी के एक उम्मीदवार के रूप में हिंगनघाट विधानसभा क्षेत्र से डॉ. मोरेश्वर रामजी नगराले चुनाव मैदान में उतरेंगे.
डॉ. नगराले ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि डॉ. गवई के धर्मांध शक्तियों को रोकने के आहवान के मद्देनजर बाबासाहेब आंबेडकर की मूल पार्टी रिपाई 191 के अधिकाधिक उम्मीदवारों का चुनकर आना जरूरी है. उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र की स्थापना के बाद से 11 विधानसभा चुनावों में रिपाई ने 288 में से कुल 118 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे, जिसमें से केवल 5 विधायक चुनकर आ सके हैं. इसमें पिछले 1999 में हुए चुनाव में सुलेखाताई कुंभारे पार्टी की ओर से विधायक चुनी गर्इं थी.
डॉ. गवई ने तय किया है कि विधानसभा चुनाव में 80 फीसदी उम्मीदवार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त और भटक्या जनजाति, बौद्ध और अन्य पिछड़े वर्ग के होने चाहिए. बाकी 20 फीसदी यानी 58 प्रतिशत उम्मीदवार तय करते समय भी समविचारी व्यक्तियों और समविचारी दलों का विचार किया जाना चाहिए. बाबासाहब भी चाहते थे कि देश में 20 फीसदी सेठजी, भटजी के राज के बजाय 80 फीसदी पिछड़े वर्ग के बीच में से प्रधानमंत्री चुना जाए. बाबासाहब जिन 80 फीसदी लोगों की सत्ता देश में चाहते थे उनमें 52 प्रतिशत ओबीसी, 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, एक प्रतिशत बौद्ध शामिल थे. समुद्रपुर निवासी डॉ. नगराले उच्च शिक्षित हैं. उन्होंने चुनाव मैदान में उतरने के लिए कमर कस ली है.