नागपुर. विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के दौरान कई तरह की खामियां उजागर करते हुए जहां सिंदखेडराजा विधानसभा क्षेत्र से एनसीपी (शरद पवार गुट) से चुनाव लड़े राजेन्द्र शिंगने द्वारा चुनाव याचिका दायर की गई, वहीं राजुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी सुभाष धोटे और बल्लारपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी संतोषसिंह रावत द्वारा याचिका दायर की गई. जिस पर बुधवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अजित पवार गुट के विधायक मनोज कायंदे, भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार और देवराव भोंगाडे को समन्स जारी कर 3 सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेश जारी किए. तीनों याचिकाकर्ताओं की ओर से अधि. आकाश मुन और अधि. पवन डहाट ने पैरवी की.
राजेन्द्र शिंगने, सुभाष धोटे और संतोषसिंह रावत की ओर से पैरवी कर रहे अधि. आकाश मून ने कहा कि विधानसभा चुनावों के संचालन में प्रक्रियात्मक अनियमितताओं देखी गई है. मनोज कायंदे, सुधीर मुनगंटीवार और देवराव भोंगाडे की चुनावी जीत को चुनौती देते हुए बताया कि चुनाव आयोग ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने से पहले अनिवार्य कानूनी आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा. उन्होंने दावा किया कि ईवीएम-आधारित मतदान के लिए कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई थी. सीसीटीवी फुटेज और फॉर्म 17 सहित आवश्यक चुनाव रिकॉर्ड उन्हें उपलब्ध नहीं कराए गए थे. इसके अलावा वीवीपीएटी सत्यापन नहीं किया गया था. जिससे चुनावी पारदर्शिता का पालन नहीं होने की आपत्ति भी दर्ज की.
याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता राजेन्द्र शिंगने को 68,763 वोट मिले थे. जबकि प्रतिद्वंदी कायदें को 73,413 वोट प्राप्त हुए थे. इसी तरह से याचिकाकर्ता संतोषसिंह राव को 79,984 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि मुनगंटीवार को 1,05,969 वोट मिले थे. पोस्टल बैलेट में रावत को मुनगंटीवार से अधिक वोट प्राप्त हुए थे. किंतु इवीएम की गणना में अधिक वोट देखने को मिले है. इसी तरह से याचिकाकर्ता धोटे को 69,828 वोट मिले थे. जबकि उनके प्रतिद्वंदी देवराव भोंगाडे को 72,882 वोट मिले थे. याचिकाकर्ता ने अंतिम निर्णय के रूप में फार्म 20 प्राप्त किया. चुनावी प्रक्रिया में हुई खामियों को लेकर पत्र देकर कुछ दस्तावेज मांगे गए. विस क्षेत्र के सभी पोलिंग स्टेशन से संबंधित फार्म 17-सी पार्ट-1 और पार्ट-2 की जानकारी मांगी गई. साथ ही पूरे चुनाव के सीसीटीवी फूटेज मांगे गए. लेकिन आज तक उक्त जानकारी नहीं दी गई है. जिससे मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. दोनों पक्षों की दलिलों के बाद हाई कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए.