नागपुर: साकोली से बीजेपी विधायक राजेश काशीवार की जीत को हाईकोर्ट ने अवैध ठहराया है। नियमों के उल्लंघन के चलते बीजेपी विधायक की सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। राजेश ने वर्ष 2014 में बीजेपी की टिकिट से चुनाव लड़ा और जीता था। इस चुनाव में राजेश के प्रतिस्पर्धी कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व विधायक सेवक वाघाये ने चुनावी शपथपत्र में झूठ बोलने का आरोप लगाते उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। सेवक ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए राजेश की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की माँग की थी।
अपनी याचिका में सेवक ने हाईकोर्ट को बताया था कि चुनाव लड़ने के दौरान राजेश सरकारी ठेकेदार थे। सिर्फ ठेकेदार ही नहीं उन्होंने अपने नाम से दो सरकारी ठेके लिए हुए थे। 24 सितंबर 2014 को अपने चुनावी नामांकन में राजेश ने यह जानकारी छुपाई थी। सेवक की याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में न्यायाधीश अतुल चांदुरकर से समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस मामले में राजेश पर लगे आरोपों को प्रस्तुत सबूतों के आधार पर सही पाते हुए अदालत ने सदस्यता रद्द करने का फैसला सुनाया।
राजेश जिस वक्त चुनाव लड़ रहे थे। उनके पास वर्ग 4 ठेकेदार होने का लाइसेंस था। दो काम वो कर रहे थे। नामांकन अर्जी भरने की अंतिम तारीख तक वो पेंच प्रकल्प और डागा अस्पताल में मेट्रो ब्लडबैंक के विस्तार का काम कर रहे थे। याचिकाकर्ता अपनी बात अदालत में साबित करने में सफल रहे जिस वजह से अदालत ने लोकप्रतिनिधित्व कानून के नियम 9 A के तहत राजेश को चुनाव लड़ने के लिए अपात्र ठहराते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी।
इस फैसले के बाद राजेश काशीवार ने फैसले के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में तैयारी दिखाई। उन्होंने इस फैसले को कुछ दिनों के लिए स्थगित करने की अपील उच्च न्यायालय से की। इस विनंती पर अदालत ने इस आदेश पर 30 दिनों के लिए स्थगिती दी है। अदालत में राजेश काशीवार की तरफ से अॅड. शशिकांत बोरकर ने पक्ष रखा।
