नागपुर। राज्य सरकार द्वारा दिनांक 14 अक्टूबर 2024 को जारी की गई “मिड-डे मील” संबंधी अधिसूचना पर हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश नवसारी की आशा महिला बचत गुट, अविष्कार सोशल वेलफेयर फाउंडेशन, और रक्त रंजित क्रांति बहुउद्देशीय संस्था द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।
हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य शिक्षा विभाग के सचिव, पुणे स्थित शिक्षा आयुक्त, प्राथमिक शिक्षा संचालनालय के आयुक्त, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के स्वतंत्र सेल के संचालक सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर उत्तर दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि पूर्व में 16 मार्च 2019 और 13 मई 2022 की अधिसूचनाओं के अनुसार “मिड-डे मील” योजना के अंतर्गत स्कूली बच्चों के लिए भोजन वितरण हेतु टेंडर प्रक्रिया निर्धारित थी, जो पारदर्शिता और नियमबद्धता सुनिश्चित करती थी।
लेकिन नई अधिसूचना में यह प्रक्रिया समाप्त कर, भोजन तैयार करने का कार्य स्कूल प्रबंधन को सीधे सौंपने का प्रावधान किया गया है। इससे भ्रष्टाचार और अनियमितता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
कोर्ट की टिप्पणियां
- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 14 अक्टूबर 2024 की अधिसूचना के खंड (ii) और (iii) के अनुसार, मिड-डे मील का कार्य अब निविदा प्रक्रिया के माध्यम से नहीं बल्कि बचत समिति या संस्था को सीधे सौंपा जाएगा।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ शिकायतों के आधार पर राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया समाप्त कर स्कूल प्रबंधन को अधिकार देने का निर्णय लिया, जो शक्ति का केंद्रीकरण करता है।
- याचिकाकर्ता पूर्व में सफल निविदाकर्ता रह चुके हैं और केवल एग्रीमेंट की प्रक्रिया शेष थी। नई अधिसूचना के कारण वे उस अवसर से वंचित रह गए हैं।
अंतरिम आदेश
हाई कोर्ट ने माना कि यह अधिसूचना स्वीकृत टेंडर प्रणाली को दरकिनार कर रही है। अतः इसके प्रभाव और क्रियान्वयन पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई गई है।