नागपुर: नागपुर महानगर पालिका में कांग्रेस नेता पद पर तानाजी वनवे की नियुक्ति को लेकर नगरसेवक संजय महाकालकर द्वारा दर्ज याचिका हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के इस फैसले के बाद विभागीय आयुक्त द्वारा वनवे की नियुक्ति का फैसला सही साबित हुआ है। कांग्रेस द्वारा संजय महाकलाकर को पार्टी का नेता बनाए जाने से नाराज पार्टी के अन्य नगरसेवकों ने बगावत कर दी थी। 29 नगरसेवकों वाले कांग्रेस दल के 17 नगरसेवकों ने अपना नया गुट बनाकर तानाजी वनवे को पार्टी का नेता चुना था। जिसके बाद बहुमत के आधार पर मनपा प्रसाशन की सिफारिश के बाद विभागीय आयुक्त ने वनवे को मनपा सभागार में कांग्रेस का नेता नियुक्त किया था।
इसी फैसले को चुनौती देते हुए महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी और जिला ईकाई के साथ 13 नगरसेवकों के समर्थन वाले महाकलाकर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 22 मई 2017 को अदालत में दी गयी याचिका पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट की भूषण धर्माधिकारी और राहुल देव की दोहरी पीठ ने केस को बर्खास्त करने का निर्णय लिया। इस फ़ैसले के बाद अब वनवे की मनपा सदन में कांग्रेस के अधिकृत नेता बन गए है।
तानाजी वनवे ने अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे संविधान के मुताबिक लोकतंत्र की जीत बताई है। दूसरी तरफ संजय महाकालकर ने मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कही है। अदालत में वनवे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर और आनंद जैस्वाल ने जबकि महाकलाकर की तरफ़ से एस के मिश्रा और अजय गारे ने पैरवी की। एमपीसीसी की तरफ से सुबोध धर्माधिकारी ने मामले पर कांग्रेस पार्टी की दलील दी।