11 बेस मरम्मत डिपो के इतिहास में 26 अक्टूबर 18 एक महत्वपूर्ण एैतिहासिक दिवस रहा जिसमे सुखोई 30 एम के आई लडाकू वायुयान का प्रथम देशीय समग्र जॉंच (ओवरहॉल्ड) किया हुआ वायुयान भारतीय वायु सेना के संक्रियात्मक स्क्वाड्न को उडान के लिए सुपूर्द किया । एयर मार्शल हेमंत शर्मा अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल वायु अफसर कमांडिंग इन चीफ अनुरक्षण कमान भारतीय वायु सेना ने यह प्रथम समग्र जॉंच (ओवरहॉल्ड) सुखोई 30 एम के आई वायुयान को एयर मार्शल एच एस अरोरा अति विशिष्ट सेवा मेडल वायु अफसर कमांडिंग इन चीफ दक्षिण पश्चिम वायु कमान भारतीय वायु सेना को वायुसेना स्टेशन ओझर में आयोजित औपचारिक समारोह के दौरान सुपूर्द किया।
11 बेस मरम्मत डिपो, भारतीय वायु सेना के प्रमुख यूनिटों में से एक है जिसमें केवल लडाकू वायुयानों के मरम्मत का कार्य किया जाता है । वायु सेना स्टेशन ओझर केवल अग्रिम पंक्ति के लडाकू वायुयान जैसे कि मिग 29, सुखोई 30 एम के आई के पूरी मरम्मत से संबंधित कार्य के लिए वचनबध्द है । डिपो की स्थापना 29 अप्रैल 1974 को हुई बाद में 01 जनवरी 1975 को 11 बेस मरम्मत डिपो के नाम से नामांतरण किया गया।
डिपो ने तकनीकी क्षेत्र् में विशेषज्ञता और आधारभूत संरचना में निरंतर वर्षो से प्रगति स्थापित की और 1983 तक एस यू 7 के 100 वायुयानों की पूरी मरम्मत का कार्य पूरा किया । इसके पश्चात 1983 से 1988 तक मिग-21 वायुयानों और 28 वायुयानों की पूरी मरम्मत का कार्य सफलता से प्रस्तुत किया । 248 मिग -23 वायुयानों को पूर्ण रूप से मरम्मत किया और मई 2015 तक स्क्वॉड्रन को सौंपा गया।
वर्ष 1996 में मिग-29 वायुयानों के मरम्मत की शुरूवात की गई। वर्तमान में मिग-29 के उन्नयन की और सुखोई 30 एम के आई के मरम्मत और पूरी जॉच की प्रमुख परियोजना डिपो में चल रही है । इसके अलावा यह डिपो एक मात्र केन्द्र है जिसमें इजेक्शन सीट और सुखोई 30 एम के आई के विभिन्न उपकरण के मरम्मत हेतु भारतीय वायु सेना और एच ए एल के लिए प्रतिबध्द है ।