नागपुर: भारतीय संविधान में कलम 342 के तहत सन 1950 से विदर्भ में कोष्टी व्यवसाय करनेवाले हल्बा समाज के लोगों को कई सहूलियतें है. सन 1977 में संसद में कानून पास किया गया था और आदिवासियों के ऊपर से क्षेत्रबंधन हटाया गया. जिसके कारण विदर्भ के सभी जिलों में आदिवासियों को सहूलियत का लाभ मिलना शुरू हुआ. 27 जुलाई 1977 के बाद विदर्भ के नागपुर, वर्धा, भंडारा, चंद्रपुर, अमरावती, यवतमाल जिलों में हलबा, हल्बी आदिवासियों को सहूलियत का लाभ मिला. लेकिन कुछ समय बाद हिन्दू धर्म व कोष्टी व्यवसाय करने के कारण हलबा समाज के लाभ नकारे गए. जिसके कारण हलबा लोगों पर एक प्रकार से अत्याचार ही हुआ है.
हलबा समाज के लोगों को फिर से आरक्षण का लाभ देने के लिए आदिम सविधान सरंक्षण समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट नंदा पराते ने 23 जून को सड़क पर उतरकर सरकार का विरोध करने का निर्णय लिया है. जिसमें सैकड़ो की तादाद में हलबा समाज के लोगों के शामिल होने का अनुमान है.
पराते बताती हैं कि भाजपा ने सरकार बनने से पहले आश्वासन दिया गया था कि वे सत्ता में आने के बाद हलबा पर हो रहे अन्याय को दूर करेंगे. जिसके कारण विदर्भ के हलबा समाज के लोगों ने भाजपा को भरपूर मतदान किया. लेकिन राज्य में भाजपा सरकार को 3 साल पूरे होने के बावजूद हलबा समाज के बारे में कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. जिसके विरोध में वे यह जनांदोलन करेंगे.