Published On : Mon, Nov 2nd, 2020

मंत्रोच्चार के साथ हुआ गुरुमंत्र संस्कार

Advertisement

– देश विदेश से 20000 बच्चे हुए शामिल

नागपुर : विद्यार्थी जीवन की सफलता, बच्चों में संस्कार, आरोग्य यश अच्छे नंबर, उत्तीर्णता, उज्जवल भविष्य के लिए गुरुमंत्र महोत्सव का आयोजन णमोकार तीर्थ, नवग्रह क्षेत्र वरुर, धर्मतीर्थ क्षेत्र कचनेर दौरा शरद पूर्णिमा पर 36 आचार्य, 36 प्रमुख गणिनी आर्यिका, 36 आर्यिका माताजी के सानिध्य में 111 प्रतिष्ठाचार्य की उपस्थिती में ऑनलाइन संपन्न हुआ.

Gold Rate
02 july 2025
Gold 24 KT 97,500 /-
Gold 22 KT 90,700 /-
Silver/Kg 1,06,600/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

गणधराचार्य भारत गौरव श्री कुंथुसागर जी गुरुदेव, वैज्ञानिक धर्माचार्य कनकनंदी जी गुरुदेव ने बच्चों को विशेष मंत्र और आशीर्वाद दिया. सारस्वताचार्य देवनंदी जी गुरुदेव, राष्ट्रसंत गुणधरनंदी जी गुरुदेव, दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदी जी गुरूदेव के मार्गदर्शन में और आशीर्वाद से 20000 बच्चे, युवक-युवतियां इस गुरुमंत्र महोत्सव में शामिल हुए थे.

वैज्ञानिक धर्माचार्य कनकनंदी जी गुरुदेव ने मार्गदर्शन में कहा जैन धर्म का रहस्य प्राण, आत्मा हैं. आत्मा से परमात्मा बनने के लिए तीर्थंकरों ने महानत्तम सूत्र दिये. उन सूत्रों को अनुसंधान कर रहे हैं. आत्मा को परमात्मा बनाना सम्यकदृष्टि फिर श्रावक, साधु, उपाध्याय, आचार्य, अरिहंत जिससे मैत्री, प्रेम, विश्व प्रेम उत्पन्न हो ऐसे जिनशासन हैं.

इसके पूर्व सुबह भारत के प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्रों व अतिशय क्षेत्रों का सामूहिक महामस्तकाभिषेक किया गया. सभी बच्चे, युवक-युवतियों ने दोपहर में सकलीकरण, विद्याप्राप्ति सरस्वती विधान किया. गुरुमंत्र संस्कार हुआ. सरस्वती साधना हुईं. जैन समाज का यह गुरुमंत्र महोत्सव का पहला कार्यकम था जिसे वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया में दर्ज हुआ. वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया के चीफ एडिटर पावन सोलंकी ने आचार्यश्री गुणधरनंदी जी गुरुदेव को प्रमाणपत्र सौपा.

इस महोत्सव में आचार्यश्री संभवसागर जी, आचार्यश्री पदमनंदी जी, आचार्यश्री विरागसागर जी, आचार्यश्री कुमुदनंदी जी, आचार्यश्री कुशाग्रनंदी जी, आचार्यश्री सिद्धांतसागर जी, आचार्यश्री सुविधिसागर जी, आचार्यश्री विद्यानंदी जी, आचार्यश्री विशुद्धसागर जी, आचार्यश्री निश्चयसागर जी, आचार्यश्री सुंदरसागर जी, आचार्यश्री चैत्यसागर जी, आचार्यश्री सुबलसागर जी, आचार्यश्री विभवसागर जी, आचार्यश्री वैराग्यनंदी जी, आचार्यश्री विनम्रसागर जी, आचार्यश्री अनेकांतसागर जी, आचार्यश्री सूर्यसागर जी, आचार्यश्री देवसेन जी, आचार्यश्री धर्मसेन जी, आचार्यश्री श्रेयसागर जी, आचार्यश्री प्रज्ञसागर जी, आचार्यश्री सूरदेवसागर जी, आचार्यश्री सौभाग्यसागर जी, आचार्यश्री सच्छिदानंद जी, आचार्यश्री गुणभद्रनंदी जी, आचार्यश्री कल्पवृक्षनंदी जी, आचार्यश्री प्रसन्ननंदी जी, आचार्यश्री प्रणामसागर जी, आचार्यश्री शशांकसागर जी, आचार्यश्री नवीननंदी जी, बालाचार्य जिनसेन जी, बालाचार्य सिद्धसेन जी, उपाध्याय मयंकसागर जी, ज्ञानचंद्रिका सर्वोच्च साध्वी गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी ने उपस्थित रहकर बच्चों को विशेष आशीर्वाद दिया. प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार उपाध्ये नई दिल्ली, प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रदीप ‘मधुर’ मुंबई, प्रतिष्ठाचार्य अजित उपाध्ये और सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. वृषभ उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. आनंद गुणधर उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. महावीर उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), प
पं. अनिल कलाजी सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. दीपक उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. आदिनाथ एवम महेन्द्र सहयोगी ( 11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. बाहुबली उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. मंदार उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य), पं. पंकज उपाध्ये सहयोगी (11 प्रतिष्ठाचार्य) ने विधान और मंत्रोच्चार संपन्न किया.

Advertisement
Advertisement