Published On : Fri, Jul 2nd, 2021

गुप्ता ट्रवल्स एजेंसी का निकला दिवाला

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– कर्जबाजारी-वाहनों के खस्ताहाल मंडराता खतरा


नागपुर – केन्द्र सरकार अधिनस्थ वेकोलि मे वाहन आपूर्ति का ठेका धारक ठेकेदार ट्रवल्स माफिया संदीप गुप्ता की सभी फर्म धनाभाव और वाहनो के खस्ता हाल के चलते दिवालिया होने की कगार पर आ चुकी है। इस सबंध में ट्रवल्स एजेन्सियों के करीबी सूत्रों की माने तो वैश्विक कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी लाकडाऊन की वजह से मार्च 2020 से सभी स्कूली बसें तथा 60% टैक्सी वाहन बंद हालत मे धूल खा रही हैं। नतीजतन सभी बसें पंक्चर हालत में अपने आप भंगार की हालत मे आ चुकी है।

फलतःसभी वाहनों के ट्यू-टायर खराब और जंग लग चुकी पेट्रोल-डीजल टंकियां और खराब सीटें प्रदूषण तथा दुर्घटनाओं को दाबत दे रही है क्योंकि वाहन की हालत बद से बद्त्तर हो चुकी है,हालाकि पिछले डेढ सालों से बैंक खातों में जमा रुपयों को यार दोस्तों के साथ अय्यासी और मदिरा पान जैसी रंगीली पार्टियों में रुपया पानी की तरह बहा दिया है ।बचा-खुचा संबंधित अधिकारियों को रिश्वत तथा आलीशान पार्टी बतौर खर्च कर दिया गया है इसके अलावा नाते रिश्तेदारों और पंहचान वालों के यहां आयोजित सादी विवाह और जन्मदिवस पर गिफ्ट और दहेज में उडाया दिया गया है.

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बताते हैं कि वर्तमान परिवेश ट्रवल्स एजेन्सियों के मुखिया संदीप गुप्ता के पास खडे बिगडे वाहनों की सर्विसिंग-मरम्मत ओवरआयलिंग-तथा पेट्रोल-डीजल के लिए लाले पड रहे हैं।इतना ही नहीं इस ट्रवल्स माफिया ने अनेक बैंकों से लाखों-करोड़ों रुपये कर्जा लेकर अपने स्वयं के पैर पर कुल्हाड़ी मारने मे कसर नहीं छोड़ी है ?

बताते है कि वेकोलि मे कार्यरत उनके सभी चारों-पांचों ट्रवल्स एजेन्सियों का कर्जा उतारने के लिए उनके पास कोई चारा नही है।क्योंकि बारंबार एसपीएम कार्ड द्वारा निकासी की वजह से उनके खातों मे जमा रकम नदारद हैं।परंतु इज्ज़त बचाने के लिए शान बनाये रखना जरूरी है।अन्यथा बनी बनाई इज्ज़त मिट्टी में न मिल जाए ? परिणामतः रस्सी जल गई परंतु ऐंठन नहीं गई की कहावते चरितार्थ हो रही है।भूखा व नंगा नहायेगा क्या और निचोयेगा क्या जैसी सर दर्द चुनौतियों का सामना करने की उन्हें नौबत आन पडी है।

इस सबंध में उनके करीबियों का मानना है कि इस ट्रवल्स माफिया को अनेक वाहन बेचने की नौबत आ गई है। परंतु डेढ साल से खडी खटारा बसों और टैक्सियों को खरीदेगा कौन ? खरीददार व्यवसायियों को आगे-पीछे सोचना पड रहा है।फलतः डेढ सालों से खडी बसों के नाम -नम्बर बदलकर तथा एजेन्सियों के नाम और पता बदलकर वह पुनः लाखों करोडों रुपये ऋण-कर्जा लेने की तैयारी मे है। ताकि झंझटों से पीछा छुड़वाया जा सके?वैसे भी वह भावी कल्याणकारी योजना बनाने मे माहिर हैं। इसके लिए बैंक मैनेजरों से घालमेल शुरु है। परिणामतः मनमाना कर्जा उठाकर वह नौ दो ग्यारह यानी भूमिगत होने फिराक में है। गोपनीय सूत्रों की मानें तो यह ट्रवल्स माफिया अपने भावी जीवन को सफल बनाने के लिए अत्याधिक कमाई वाले कोई बडे शहरों मे पालायन होने की तैयारियां मे जुटा है।जैसे कि रायपुर- बिलासपुर,आगरा दिल्ली य अत्याधिक कमाई वाला ठिकाना खोज लिया गया है। वेकोलि के एक वित्तीय अधिकारी की माने तो बकाया प्रलंबित बिलों का भुगतान पाने के लिए वह काफी उतावलापन दिखाई पड रहा है।हालांकि वेकोलि के कुछेक अधिकारियों की औरतों से चौगुना ब्याज का लालच देकर लिया गया उधारी कर्ज चुकाने के वजाय वह उसे डकारने की फिराक में दिखाई दे रहा है। इस प्रकार यह गोंदिया का ट्रवल्स माफिया गुप्ता दिवालियेपन की कगार पर पंहुच चुका है ?

कार्यवाई से बचने छटपटाहट
वेकोलि कार्यालयीन सूत्रों के मुताबिक ट्रवल्स माफिया गुप्ता पर श्रमिक शोषण जैसे न्युनतम वेतन उलंघन,ईएसआईसी चोरी, सामूहिक जीवन बीमा चोरी, जीएसटीडी चोरी, रोड टैक्स चोरी, तथा मंहगाई भत्ता चोरी,धुलाई भत्ता बौनस व अन्य भत्तों की चोरी और बेईमानी के आरोप में उन पर सख्त कार्यवाई की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है नतीजतन श्रमिकों को समय रहते बकाया राशि नही किया तो उस पर जेल जाने की नौबत आ सकतीं हैं। बताते हैं कि मामले से बचने के लिए उधोग व श्रम न्यायालय के निपुण अधिवक्ताओं से विचार विमर्श और सलाह मशविरा जोरों पर शुरु है।परंतु आज की तारीख में किसी भी वकीलों की सुन लेता परंतु किसी पर भी वह विश्वास नहीं कर रहा है।क्योंकि न्यायालय को असलियत से गुमराह नही किया जा सकता है हालाकि श्रम मंत्रालय के कानूनों को धत्ता बताने मे वह सफल रहा है।परिणामतः असलियत सामने आने पर वह कठोर कार्यवाई का भागीदार हो सकता है।

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