Published On : Wed, Jul 23rd, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

गुल्लर के पेडसे निकली जलधारा… पीछले पाच दिनोसे बह रहा है पवित्र जल

श्रवणमास मे घटीत उक्त घटनाको धर्म और आस्था से जोड पुजा आर्चना जारी

सावनेर ः शहर के पहले पार कलमेश्वर रोड महाकाली एँक्वा वाटर के पीछे बनकर लेआऊट के शिव मंदिर व हनुमान मंदीर परिसर मे स्थीत गुल्लर (उंबर ) के पेडके तनेसे पीछले पाच दिनोसे जलधारा बह रही है.जीसे इश्वर का चमत्कार मान पुजा अर्चना तथा कौतुहल का माहोल बन उक्त जलधारा को देखने तथा पवित्र जल ग्रहण करणे हेतू भाविकोका ताता लग रहा है.

हमारे स्थानिक संवाददाता को बनकर लेआऊट स्थीत युवा समाजसेवी तथा महाकाली एँक्वा वाटर कंपनी के संचालक वासुदेव मेंहदोले ने उक्त घटनाकी सुचाना देकर पीछले पाच दिनोसे जारी उक्त जलधारा के बारेमे बताते ही हमारे स्थानिक संवाददाता ने घटनास्थल पहुचकर देखा तो एक गुल्लर के पेडसे निरंतर जलधारा निकल रही है तथा लोग इसे भोलेबाबा का चमत्कार मान पुजा अर्चना करते नजर आये.

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उक्त घटनाके प्रथम प्रत्यक्षदर्शी कोलबा मंडलिक व उनके परीजन व आसपडोस के लोगोसे बातचीत करणेपर उन्होने बताया हरवर्षकी तरह इस वर्षभी उक्त गुल्लर (उंबर) के पेड की छटाई शुक्रवार दि. 18 जुलई को की गयी. जीसमे उक्त पेडकी लगभग बढी हुयी आठ दस डगाले काटी गयी. उसी शामसे छाटीक्षगयी डगालोमेसे एक डगाल से पाणी टपकता दिखाई दीये जीसे पहले तो अनदेखा कीया गया लेकीन दुसरे दिन सुबह उक्त जलधारा रुकनेके बजाय और तीव्र होने लगी.उक्त पेडकी अनेको डालीओ को काटा गया लेकीन एकही डाल से जलधारा निरंतर बह रही है. जीससे आसपास पडोसमे रहनेवालोमे कौतुहल का वातावरण निर्माण होकर दर्शनार्थीयोका ताता लगने लगा है

पेडो के बारेमे भारतीय संस्कृती तथा पौराणिक ग्रंथोमे अनेक वर्णन उल्लेखीत है जैसे की बरगद के पेडके तनेमे भगवान ब्रम्हा विष्णू महेश का वास होता है.ईसीलीये बरगद के पेडको त्रिदेवोका वास स्थान भी कहा जाता है.उसी प्रकारसे गुल्लर (उंबर ) के पेड मे भी धन संपत्ती के देवता कुबेर का वास होने की जानकारी है.

श्रावण मास मे पीछले पाच दिनोसे गुल्लर के पेड से निरंतर जारी इस जलधारा को कोई दैविक चमत्कार मान रहा है तो कोई नैसर्गिक घटना कींतू यह सच है की बनकर लेआऊट स्थुत शिवजी तथा हनुमान जी के मंदिर प्रांगण मे स्थीत उक्त गुल्लर के पेडसे जलधारा बह रही है.

हमारा चँनल किसीभी प्रकार के अंधश्रद्धा का पुरजोर विरोध करता है. दर्शक इसे कु्पया अंधश्रद्धा के नामसे ना जोडकर प्राकृतिक तथा नैसर्गिक घटना का रुप मान सकते है.

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