जिलाधिकारी की आड़ लेकर सावनेर तहसील के एसडीओ का कारनामा
नागपुर: एक तरफ सम्पूर्ण राज्य के खेत-खलियान तबाह हो गए.दूसरी तरफ केंद्र सरकार इस मामले को लेकर गंभीर हैं.और तो और राज्य सरकार ने भी तय मुद्दत में सर्वेक्षण का निर्देश दिया।बावजूद इसके नागपुर जिला प्रशासन उक्त महत्वपूर्ण मामले को तहरिज देने के बजाय रेती घाटों को तहरिज दे रही.
याद रहे कि राज्य में खेत-खलियान को काफी नुकसान हुआ.जिसके लिए केंद्र सह राज्य सरकार गंभीर हैं.इतना ही नहीं केंद्र की विशेष दल में कर नागपुर विभागीय आयुक्त के संग जिले के खेतों का जायजा लिया।राज्य सरकार ने भी खेत-खलियान का सर्वे करने का ३० नवंबर तक पूर्ण करने का निर्देश दिया था.
सावनेर के उपविभागीय अधिकारी के अनुसार जिलाधिकारी ने नुकसान भरपाई हेतु उक्त सर्वे पटवारियों से करवाने की बजाय उन्हें तहसील के ५ रेती घाटों की निगरानी हेतु २४ घंटे की ड्यूटी लगा रखी हैं.
सावनेर तहसील में ५ रेती के घाट हैं,प्रत्येक रेती के घाटों पर २४ घंटे के लिए ४-४ पटवारियों की तैनातगी कर रखी गई हैं.अर्थात २० पटवारी तहसील के ५ रेती घाटों पर पहरा दे रहे,इतना ही नहीं इनके साथ तहसील की सुरक्षा करने वाले पुलिस प्रशासन के २-२ पुलिस कर्मियों की तैनातगी रेती के घाटों पर की गई.
दूसरी ओर खेती -फसल का नुकसान भरपाई मिलने की आस लगाए किसान वर्ग की सर्वे थमने से वे काफी परेशान हैं,स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी एसडीओ व जिला प्रशासन नहीं सुन रही.यहाँ तक कि पटवारियों ने भी एसडीओ और जिलाधिकारी से उनके मूल काम करने देने की गुहार लगाई लेकिन उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी।
सवाल यह हैं कि क्या केंद्र व राज्य के प्रशासन से ऊँचा नागपुर जिला प्रशासन हैं जो उनके निर्देशों को तहरिज नहीं दे रहा.या फिर जिला प्रशासन किसान-खेत-खलियान विरोधी व रेती घाट समर्थक हैं ?