Published On : Fri, Oct 13th, 2017

GST का असर: जूलरी मार्केट से गायब हैं लकी ड्रॉ, गिफ्ट ऑफर

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Gold Jewellery
नई दिल्ली: धनतेरस और दिवाली की पीक सेल्स के लिए पलक पांवड़े बिछाए बुलियन और जूलरी के बाजारों में इस साल लकी ड्रॉ, गिफ्ट हैंपर और बंपर डिस्काउंट जैसे ऑफर नदारद हैं। जहां एक ओर नोटबंदी के बाद से कैश वालों के हाथ तंग हैं, वहीं जीएसटी ने खरीद-बिक्री के पैमाने बदल दिए हैं। ज्यादातर जूलर जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट की शर्तों, कंपोजिट सप्लाई और रिवर्स चार्ज को लेकर कन्फ्यूज हैं। कइयों को यह डर सता रहा है कि अगर सोने के साथ कोई दूसरी वस्तु दी तो कहीं 3% की जगह रेग्युल स्लैब वाले रेट न लागू हो जाएं।

पिछले साल ग्राहकों को लकी ड्रॉ के जरिए लग्जरी कार, आईफोन और एलईडी टीवी ऑफर करने वाली एक जूलरी फर्म के एमडी ने बताया, ‘एक तो डिमांड कम है और इस साल कमाई नहीं होने जा रही। लेकिन जीएसटी रिजीम ने भी कई चीजें बदली हैं। अगर लाख डेढ़ लाख रुपये की जूलरी खरीदने वाले किसी लकी ग्राहक को हमें 10 लाख की कार देनी पड़े तो एक तो हमें इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा और ऊपर से गाड़ी पर सेस के साथ टैक्स रेट 28 से 40 पर्सेंट तक होगा। हाल तक शर्तें लागू टैग के तहत गाड़ी पर कम से कम वैट की रकम ग्राहकों से मांग ली जाती थी, लेकिन कई बार ग्राहक वो भी नहीं देना चाहते।’

क्यों हुआ मार्केट रणनीति में बदलाव?
कूचा महाजनी के बुलियन डीलर महेश गर्ग कहते हैं, ‘मैं 50 हजार से ज्यादा की खरीद पर इन दिनों लक्ष्मी-गणेश की चांदी की मूर्तियां हमेशा से देता आया हूं। लेकिन मूर्तियों पर जीएसटी रेट को लेकर पिछले महीने तक स्थिति साफ नहीं थी। ऐसे में रणनीति टाले रखी। हालांकि मेकिंग चार्जेज पर डिस्काउंट जारी है।’

Gold Rate
Saturday 22 March 2025
Gold 24 KT 88,100/-
Gold 22 KT 81,900 /-
Silver / Kg 98,000 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

जीएसटी एक्सपर्ट बिमल जैन कहते हैं, ‘जब कोई ट्रेडर जूलरी के साथ छोटा-मोटा गिफ्ट देगा तो वह उसकी प्राइसिंग में शामिल मानी जाएगी, न कि कंपोजिट सप्लाई के रूप में ट्रीट होगी। लेकिन इसे लेकर मार्केट में कन्फ्यूजन है और डीलर जोखिम लेने से बच रहे हैं। लेकिन एक बात साफ है कि अगर आप लकी ड्रॉ के तहत कार या वास्तविक सप्लाई से महंगी चीज दे रहे हैं तो उसका आपको इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा।’

इस बार 30-40% की कमी
धनतेरस के एक हफ्ते पहले से ही जूलर्स के पास एडवांस ऑर्डर आने लगते हैं, लेकिन इस बार इसमें 30-40% कमी बताई जा रही है। करोलबाग जूलर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राकेश सर्राफ कहते हैं कि नोटबंदी के बाद से लोगों के पास कैश नहीं है और कई वजहों से खरीद क्षमता घटी है। पिछले साल की तुलना में कारोबार आधा रह गया है। वहीं, व्यापार संगठन कैट के जूलर्स विंग के मेंबर एस के जैन बताते हैं कि सोने की कीमतें लगभग स्थिर होने के चलते निवेश के लिहाज से खरीदारी करने वाले आगे नहीं आ रहे और पैसा शेयर या दूसरे जरियों में लगा रहे हैं। इस वजह से भी इस साल खरीदारी फीकी है।

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