Published On : Fri, Dec 12th, 2014

भंडारा : पानी के बीच फंसा वानरों का झुंड

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  • इमली के पेड़ पर 4 दिनों से चीख रहे 30 वानर
  • वन विभाग सहित सभी निकालने के प्रयास में बेहाल
  • जि.प. सदस्य डोंगरे ने की बचाने की पहल
  • अब तक नहीं निकल पाया कोई उपाय

भंडारा। गोसेखुर्द बाँध का जल स्तर बढ़ाने की कवायद कई दिनों से की जा रही है. कृषि के उपयोग के लिए सिर्फ जल स्तर बढ़ाना जरूरी है, परंतु जल स्तर बढ़ाने के दौरान किसी की जान न जाए इसके लिए प्रशासन को सावधानीपूर्वक कार्य करना चाहिए. ऐसे ही एक प्रयास के दौरान नागपुर जिले के सोनेगाँव में पानी का जमाव हो गया. जल स्तर बढ़ाते वक्त कहीं भी पानी का जमाव होना स्वाभाविक है. सोनेगाँव के सभी लोग तो उक्त पानी के जमाव से बाहर निकल गए किंतु 25-30 बंदरों का एक झुंड वहाँ स्थित इमली के पेड़ पर तीन-चार दिनों से निकलने की राह ढूंढ रहा है. प्रतिदिन उधर टहलने वाले जिला परिषद सदस्य राजेश डोंगरे के कानों में बंदरों की चित्कार जब पड़ी तो उन्होंने गोसेखुर्द स्थित ढीवर बांधव सुनील नान्हे और गोपीलचंद मेश्राम को इस बात से अवगत कराया. वे दोनों युवक वहाँ जाने को तैयार हो गए. वे सोनेगाँव के उक्त जमाव के पास पहुँचे. उस जगह एक मंदिर है. वहीं पड़ोस में एक इमली का वृक्ष है. उस वृक्ष पर जीवन रक्षार्थ करीब 30 बंदर मदद के लिए शोर मचाते दिखे.

इन बंदरों का जीवन को कैसे बचाया जाए, इस पर राजेश डोंगरे ने प्रयास शुरू किए. इस काम में वन विभाग के कर्मचारी, गोसेखुर्द बाँध के अधिकारी व पर्यावरण संरक्षकों के समक्ष एक बड़ी चुनौती है. इधर तीन-चार दिनों से फंसे इन बंदरों को बचाने का प्रयास संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है. इसलिए इन प्राणियों में दया करते हुए उनकी रक्षा करने की राजेश डोंगरे ने अधिकारियों की माँग की है. अब देखना है कि इन वानरों को वन विभाग अथवा कोई प्राणी संरक्षक पानी के भंवर से निकाल पाता हैं या उन्हें अपनी जांन गंवानी पड़ेगी?

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