Published On : Thu, Feb 11th, 2021

कोविड इलाज के लिए आरक्षित प्रदेश के सभी निजी अस्पतालो का सरकारी ऑडिट कराये सरकार – संजय अग्रवाल

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भ्रष्टाचार विरोधी जन मन के राष्ट्रिय अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने मुख्यमंत्री श्री उध्हव ठाकरे को पत्र लिखकर मांग की है की प्रदेश के सभी निजी हॉस्पिटलों का सरकारी ऑडिट कराया जाये। श्री अग्रवाल ने कहा पिछले १ वर्ष से देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा समय समय पर जनता की भलाई के लिए आदेश निकाले। परंतु दुर्भाग्य से उन आदेशों का पालन निजी हॉस्पिटलों ने नहीं किया और मरीज़ों से गैर कानूनी उगाही की है।महाराष्ट्र सरकार ने प्रदेश के सभी निजी हॉस्पिटलों
के ८० % बेड सरकारी दर पर इलाज करने के लिए आरक्षित कर दी थी तथा सरकारी दर भी घोषित कर दी थी।

हॉस्पिटल शेष बचे २०% बेड हॉस्पिटल अपनी दर पर इलाज करने के लिए स्वतंत्र थे।परन्तु किसी भी निजी हॉस्पिटल ने सरकारी
आदेश का पालन नहीं किया और पुरे प्रदेश में मनमाने तरीके से मरीज़ों से बिल की वसूली की है।२०% अन – आरक्षित श्रेणी में भी कई हॉस्पिटलों ने उनकी सामान्य दर से भी ज्यादा दरों से वसूली की है ऐसा देखने में आया है।

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अग्रवाल ने कहा की ऐसा नहीं है की सरकार ने कुछ नहीं किया सरकार द्वारा समय समय पर जनता से आव्हाहन किया गया की अगर किसी हॉस्पिटल ने सरकारी दर से ज्यादा की वसूली की है तो उसकी शिकायत सबंधित विभाग से करे। परतु ऐसा
देखने में आया है की जिन लोगो ने सरकार के पास शिकायत दर्ज कराई। उनमे से ९९% मरीजों को यही जवाब दिया जा रहा की आपका इलाज २०% बेड जो आरक्षित नहीं थे उस श्रेणी में हुवा है।मैंने सूचना के अधिकार-२००५ के तहत विभिन्न विभागों से ये जानकारी मांगी थी की जिन मरीजों का इलाज ८० % बेड जो सरकारी दर पर इलाज के किये आरक्षित थे उन मरीजों की लिस्ट, नाम पत्ते मोबाइल नंबर के साथ दी जाये। परंतु मुझे निजता का हवाला देते हुए यह जानकारी देने से मन कर दिया गया । इस बाबत मैंने अपिलिय अधिकारी ,सबंधित विभाग के समक्ष अपील दाखिल कर दी है। मुझे मौखिक रूप से बताया गया है की सरकार के पास ऐसी कोई भी लिस्ट (रिकॉर्ड )मौजूद नहीं है इसलिए निजता की आड़ का सहारा लिया जा रहा है। श्री अग्रवाल ने आगे कहा की प्रदेश में लाखो लोगो को कोरोना महामारी हुई थी इन में से लाखो ने मेडिक्लेम इंश्योरेंस (MEDICLAIM) ले रखा था।

कई निजी व सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों ने कोरोना बीमारी के किये अलग सेn भी इंश्योरेंस पॉलिसी बेचीं थी। अब पॉलिसी धारको को पूरा क्लेम देने से मना किया जा रहा है यह कहते हुवे की महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना इलाज के लिए सरकारी दर घोषित कर दी थी अंतः वे (इंश्योरेंस कंपनी )सरकारी दर के हिसाब से ही क्लेम देंगी। यह प्रदेश के पालिसी धारको पर दोहरी मार है एक ओर उनसे पूरा प्रीमियम वसूला गया और दूसरी और उन्हें पूरा क्लेम नहीं
मिल रहा है।

श्री अग्रवाल ने कहा डॉक्टरों को भगवांन का रूप माना जाता है और कोरोना काल में डॉक्टरों द्वारा किया गया कार्य सराहनीय है परन्तु हॉस्पिटल संचालक जनता की इस भावना का फायदा अपने आर्थिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए कर रहे है। जनता हॉस्पिटलों के खिलाफ कोई भी शिकायत करने से डरती है और उसकी सोच है की अगर बीमार होने पर हॉस्पिटल ने इलाज करने से इंकार कर
दिया तो वे क्या करेंगे। इसी का लाभ हॉस्पिटल संचालक उठा रहे है यह एक प्रकार की धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार है जिसपर रोक लगाने की जबाबदारी सरकार की है।

सरकार का काम केवल जनता की भलाई के लिए आदेश निकलने का ही नहीं बल्कि यह भी देखने का है की उस आदेश का पालन हो भी रहा है की नहीं। श्री अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से मांग की सरकार तत्काल प्रदेश भर के सभी निजी अस्पताल जो कोविड इलाज के लिए आरक्षित थे उनका सरकारी ऑडिट कराये और जिन हॉस्पिटलों ने मरीजों से ज्यादा दर से वसूली की है उन पर फौजदारी गुन्हा दखल कराए तथा अतिरिक्त वसूल की गयी रक्कम ब्याज सहित वसूल कर मरीजों को वापस कराये । सरकार सभी सरकारी व निजी इंश्योरेंस कंपनीयो को भी यह आदेश जारी करे की जिन मरीजों का इलाज अन- आरक्षित २०% बेड की
श्रेणी में हुवा है उन्हें पूरा क्लेम दिया जाये।

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