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नागपुर: हड़ताल पर जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। राज्य सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है जिसमे हड़ताल पर जाकर कामकाज प्रभावित करने वाले सरकारी कर्मचरियो को एक वर्ष की सज़ा का प्रावधान किया गया है इतना ही नहीं दो हज़ार रूपए का दंड भी कर्मचारियों से वसूल किया जाएगा। महाराष्ट्र राज्य अतिआवश्यक सेवा परिरक्षा अधिनियम-2017 अध्यादेश को लागू किया जा चुका है।
सरकार द्वारा इस अध्यादेश को लागू किये जाने का मक़सद आये दिन होने वाली हड़तालों से विभिन्न शाषकीय सेवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकना है। लेकिन अगर इसे कर्मचारियों के दृष्टिकोण से देखे को तो इस क़ानून को लागू कर सरकार ने सरकारी कर्मचारियों से हड़ताल के अधिकार को छीन लिया है।
विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी माँगो को मनवाने के लिए सरकारी कर्मचारी हड़ताल का सहारा लेते है। कई मर्तबा आंदोलन अपना असर दिखता है और कर्मचारियों की माँगे मान भी ली जाती है। सरकार अतिआवश्यक सेवाओं पर हड़ताल रोक लगाने की भी तैयारी में है। सरकारी सेवा के कर्मचारी अगर इस आदेश का पालन नहीं करते है तो उन्हें एक वर्ष की सज़ा,दो हज़ार रूपए जुर्माने की सज़ा या फिर दोनों ही प्रकार की सज़ा हो सकती है। इतना ही नहीं हड़ताल की धमकी देना या फिर आर्थिक मदत भी अपराध की श्रेणी में आएगा। इस कानून के तहत पुलिस को बिना वारेंट अरेस्ट का अधिकार दिया गया है।