राकांपा नेता जिला परिषद में भी सत्ता के समीकरण पलटने को आतुर , भाजपा बेचैन
गोंदिया: राजनीति कब किस करवट बैठेगी यह कोई नहीं बता सकता , यहां ना तो कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है और ना दुश्मन ? राजनीति में अक्सर ताकत सीटें चुनकर आने के बाद पता चलती है वर्ना पहले तो कोई दल , किसी से सीधे मुंह तालमेल की बात भी नहीं करता।
विशेष उल्लेखनीय है कि पंचायत समिति गोंदिया में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला , 28 में से भाजपा ने 10 सीटें हासिल की थी वहीं निर्दलीय विधायक विनोद अग्रवाल के जनता की पार्टी (चाबी संगठन ) ने अपनी ताकत का एहसास कराते 10 सीटों पर जीत दर्ज कर ली लिहाज़ा अकेले बीजेपी से दुश्मनी निभाने में नाकाम रही राकांपा ने दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त ? की नीति अपनाते किसी विशिष्ट राजनेता का राजनीतिक कैरियर खत्म करने के लिए दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिए ? इस फलसफे पर अमल करते हुए गोंदिया पंचायत समिति के सभापति के पद का ऑफर चाबी संगठन को देते हुए सत्ता के समीकरण ही बदल डाले तथा घुर विरोधी नेता और भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाते हुए गोंदिया पंचायत समिति पर कब्जा कर लिया।
सत्ता के लिए किए जाते हैं तमाम समझौते
राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जहां सत्ता के लिए तमाम समझौते किए जाते हैं , कुछ ऐसा ही नज़ारा शुक्रवार 6 मई को गोंदिया पंचायत समिति के सभापति चुनाव दौरान देखने को मिला। बता दें कि जिले की 8 तहसीलों की पंचायत समिति की 106 सीटों में से भाजपा ने 57 सीटें हासिल की है और वह सबसे बड़ा दल है लिहाज़ा तिरोड़ा , गोरेगांव , आमगांव , देवरी , सड़क अर्जुनी इन 5 तहसीलों की पंचायत समितियों पर सभापति और उपसभापति भाजपा के चुने गए। वहीं सालेकसा पंचायत समिति के दोनों पद कांग्रेस की झोली में चले गए ओर अर्जुनी मोरगांव पंचायत समिति पर दोनों निर्दलीयों का कब्जा हो गया। तो गोंदिया पंचायत समिति पर चाबी संगठन ने घड़ी के साथ गठबंधन कर सभापति और उपसभापति का पद आपस में बांट लिया ।
राजनीतिक हलकों में चर्चा : घड़ी- चाबी का गठबंधन जिला परिषद में क्या रंग लाएगा ?
गोंदिया पंचायत समिति चुनाव के बाद राजनीतिक हलकों में अचानक से इस घटनाक्रम की चर्चा तेज हो गई है कि इस घड़ी- चाबी गठबंधन का असर जिला परिषद अध्यक्ष और सभापति के आगामी चुनाव परिणामों में क्या रंग लाएगा. सेमीफाइनल कहे जाने वाले पंचायत समिति चुनाव में चाबी संगठन ने राकांपा के साथ गठजोड़ कर सत्ता हथिया ली है ।
वैसे बता दें कि राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जहां सत्ता के लिए तमाम समझौते किए जाते हैं । गोंदिया जिला परिषद की 53 सीटों में से भाजपा के पास 26 वोट की ताकत है लेकिन बहुमत से एक कदम दूर.वहीं कांग्रेस 13, राकांपा 8 , जनता की पार्टी (चाबी संगठन) 4 और निर्दलीय 2 मिलाकर कुल 27 का आंकड़ा बनता है यानी स्पष्ट बहुमत।
ऐसे में 26 सदस्यीय सबसे बड़े दल भाजपा का क्या होगा ? यह भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन सेमीफाइनल कहे जाने वाले गोंदिया पंचायत समिति चुनाव में चाबी संगठन ने राकांपा के साथ गठजोड़ कर यह जता दिया है कि राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई गोंदिया विधानसभा को लेकर ही है , एक म्यान में दो तलवार नहीं समां सकती ? इसलिए राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता भी एक्टिव हो गए हैं और दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त ? की नीति अपनाते हुए सत्ता के समीकरण पलटने को आतुर बैठे है।
रवि आर्य