Published On : Thu, May 16th, 2019

गोंदिया – बीमार मेडिकल कॉलेज का उपचार जरूरी

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जिलाधिकारी डॉ. कादंबरी बलकवड़े का औचक निरीक्षण किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं?

गोंदिया: आर्थिक रूप से कमजोर वह तबका जो निजी अस्पतालों में महंगा उपचार कराने हेतु सक्षम नहीं होता एैसे गरीब मरीजों के लिए सरकार की मदद से मेडिकल अस्पताल व जिला अस्पताल चलाए जाते है।

महाराष्ट्र का स्वास्थ्य मंत्रालय अकेले गोंदिया के केटीएस एंव महिला बीजीडब्ल्यू अस्पताल पर प्रतिमाह मुफ्त दी जाने वाली दवा और उपकरणों व स्टॉफ के वेतन पर करोड़ों रूपये खर्च करता है बावजूद इसके इन दोनों अस्पतालों से अव्यवस्था व दुर्दशा की खबरें लगातार बाहर आती रहती है।
24 अप्रैल को केटीएस के आईसीयू वार्ड से एक्सपायरी डेट की दवा मिलने का मामला तूल पकड़ चुका है। हालांकि जिलाधिकारी ने 5 सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है लेकिन अब तक कोई सार्थक रिपोर्ट न आने से भ्रम की स्थिती बनी हुई है। लिहाजा कर्तव्यदक्ष जिलाधिकारी डॉ. कादंबरी बलकवड़े ने 15 मई बुधवार सुबह 9.30 बजे मेडिकल अस्पताल का औचक निरीक्षण किया जिससे डॉक्टर व स्टॉफ में खलबली मच गई।

केटीएस अस्पताल के केजूअलटी कक्ष, वार्ड क्र. 1 व 2 का निरीक्षण करने के बाद जिलाधीश मैडम आईसीयू में भर्ती मरीजों के साथ रूबरू हुई, उन्होंने पेशेंट को कैसे चेक करते है? ड्रग्स (दवाई) कैसे दिए जाते है? पेशेंट का रिकाडर्र् कैसे मेन्टेन होता है? बायो-मेडिकल वेस्ट बराबर डिस्ट्राय किया जाता है या नहीं? इन सारी चीजों का जाय़जा लिया। जो भी कलेक्टर मैडम को थोड़े बहुत ड्राबेक (ऋटियां) मिली, उन्होंने अपने साथ आए अधिकारी वे सारे पाइंट नोट करने को कहा। इतना ही नहीं आईसीयू में जो स्वास्थ्य उपकरण और मशनरी बंद पड़े होने की शिकायत मिली, उसका भी निरीक्षण किया तथा जिन एक्सपायरी डेट की दवाईयों की शिकायत थी, उस स्थान का भी जाय़जा लेते दोनों बॉक्स का अवलोकन किया जिसके बाद जिलाधीश मैडम केटीएस अस्पताल के दवाईयों के स्टोर रूम में पहुंची। उनके साथ ड्रग इंस्पेक्टर भी मौजुद था जिन्होंने दवाईयों के स्टॉक संबंधी आवक-जावक रजिस्टर व दस्तावेजों की जांच पड़ताल की। साथ ही अस्पताल परिसर का चप्पा-चप्पा घुम कर वहां व्याप्त गंदगी के आलम को भी देखा तथा तत्काल स्वच्छता के संदर्भ में आवश्यक सुधार के निर्देश मेडिकल अस्पताल के डीन को जारी किए।

सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक जिलाधीश के औचक निरीक्षण के बाद अब यह उम्मीद बंधी है कि, मामले की निष्पक्ष जांच होगी तथा संबधित दोषियों पर निलंबन जैसी कार्रवाई की गाज गिरेगी?

75 प्रश कर्मचारी रोज ट्रेन से करते है अप-डाऊन

गोंदिया शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में नर्स की संख्या 86 है और डीएचएस की संख्या 42, जीआर. 1, 2, 3 के तहत एचओडी, उसके नीचे एसोसिएट, उसके नीचे लेक्चरर, उसके नीचे एमबीबीएस की बैच और केटीएस अस्पताल के लिए दर्जनों डॉक्टर, मेट्रोमिक्स विभाग, र्क्लकिकल विभाग , सेनिट्रिंग विभाग, मशीन ऑपरेटिंग स्टॉफ, जैसी अनेक शाखाएं है जिनमें 400 के लगभग स्टॉफ काम करता है और इसमें से 75 प्रतिशत कर्मचारी प्रतिदिन नागपुर, भंडारा, तुमसर से सुबह 11 बजे विदर्भ एक्सप्रेस द्वारा गोंदिया की धरती पर कदम रखते है और दोप. 2.30 बजे अस्पताल छोड़ देते है।

इस अस्पताल में 10 बायोमेट्रिक मशीन की आवश्यकता है लेकिन सिर्फ एक मशीन ही लगायी गई है बाकि सारे कर्मचारी डियुटी में अनियमितता बरतते हुए उपस्थिती रिकार्ड मेन्टेन करने में विश्‍वास नहीं रखते?

अप-डाऊन करने वाले इन 300 कर्मचारियों को विदर्भ वीर का दर्जा हासिल है, जिन्होंने फर्जी तौर पर मुख्यालय में रहने के नाम-पत्ते दर्ज करवा रखे है तथा वेतन पर 15 प्रतिशत नक्सल भत्ता, अतिरिक्त घर भाड़ा और अन्य सहुलियतें ठगबाजी द्वारा शासन से प्राप्त कर रहे है तथा उनके द्वारा महज 4 घंटे डियुटी करने से मरिजों की जान पर बन आती है जिसका संज्ञान अब जिलाधीश मैडम ने लेना चाहिए?
– रवि आर्य