गोंदिया। शिक्षा का अधिकार ( आरटीई ) के तहत बिना अनुदानित निजी स्कूलों में आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित छात्रों की शैक्षिणिक हानी को रोकने के लिए स्कूलों में 25% सीटें सरकार द्वारा आरक्षित रखी जाती है।
इन गरीब विद्यार्थियों की फीस सरकार द्वारा दी जाती है ।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के कलम 12 ( 2 ) के तहत गोंदिया तहसील के पोस्ट कारंजा के ग्राम पिंडकेपार स्थित नेशनल पब्लिक स्कूल एंड जूनियर कॉलेज गोंदिया को शैक्षणिक सत्र 2014 -15 से 2024- 25 में शासन निर्देशानुसार आरटीआई अंतर्गत 25% आरक्षित रखने को कहा गया था जो की स्कूल द्वारा रखी गई लेकिन आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति के 23 लाख 11 हजार 667 रुपए अब तक सरकार द्वारा जारी नहीं किए गए हैं , इस बात की जानकारी आयोजित पत्र परिषद में देते हुए शाला के प्राचार्य मनमोहन प्रेमलाल डाहाटे ने बताया- सरकार से समय पर प्रतिपूर्ति नहीं मिलने के कारण संस्था को चलना मुश्किल हो रहा है लिहाज़ा मंत्रालय से लेकर गोंदिया कलेक्टर , गोंदिया जिला परिषद सीईओ , शिक्षण अधिकारी प्राथमिक श्री महामुनि , उप शिक्षण अधिकारी दिघोरे को उन्होंने इस दौरान कई मर्तबा पत्र लिखा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
अपनों पर करम , गैरों पर सितम.. ये साहब कुछ ठीक नहीं ?
हाल ही में 27 मार्च 2025 को गोंदिया जिले के 106 स्कूलों को आरटीई के बकाया 4 करोड़ 6 लाख 89 हज़ार 216 रुपए अदा किए गए है लेकिन उनके स्कूल का इस लिस्ट में नाम नहीं था यह बात उनके समझ से परे है।
इसको लेकर उन्होंने संबंधित अधिकारियों से प्रत्यक्ष भेंट भी की लेकिन जिला परिषद सीईओ , शिक्षण अधिकारी और कलेक्टर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं ऐसे में लेट लतीफे से आरटीआई अधिनियम का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो रहा है और प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है।
मुख्याध्यापक मनमोहन प्रेमलाल डहाटे ने कहा- इन्हीं सभी बातों के मुद्दे नजर उन्होंने गुरुवार 1 मई 2025
( महाराष्ट्र दिवस ) पर कलेक्टर कार्यालय के सामने एकदिवसीय धरना आंदोलन का निश्चय किया है , आमरण उपोषण की परमिशन मिलनी चाहिए इस बात को लेकर उन्होंने तहसीलदार और पुलिस निरीक्षक ग्रामीण थाना को भी पत्र लिखा है।
इस धरना आंदोलन के दौरान अगर कोई अनर्थ होता है तो सारी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी इस बात की जानकारी भी जिलाधिकारी को 17 अप्रैल 2025 को दिए लिखित पत्र में दे दी गई है।
आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति में लेटलतीफी से ” राइट टू एजुकेशन ” का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो रहा ?
बता दें कि अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 ( सी ) (1) के तहत राज्य के स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्रों को 25% आरक्षण , मुफ्त शिक्षा के तहत प्रदान किया जा रहा है।
धन्नासेठ ( लक्ष्मी पुत्रों ) के बच्चों के मुकाबले कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए समान शिक्षा के अवसर सुनिश्चित करने के मकसद से गोंदिया जिले की सैकड़ो स्कूलों को आरटीई में समाविष्ट किया गया है , इसके लिए प्रति विद्यार्थी ( निजी स्कूलों ) को वार्षिक शुल्क के रूप में सरकार द्वारा 17, 760 प्रदान किए जाते हैं लेकिन राज्य भर में आरटीआई शुल्क प्रतिपूर्ति के लगभग 2400 करोड़ रुपए राज्य सरकार द्वारा अब तक जारी नहीं किए गए हैं जो अपने आप में ” राइट टू एजुकेशन ” योजना पर एक बड़ा सवाल उठाते हैं।
रवि आर्य