गोंदिया: सुनिल मेंढे यह पेशे से एक ठेकेदार – बिल्डर और धनी कारोबारी है। लिहाजा उनके राजनीतिक जीवन की शुरूवात और वर्तमान पोजिशन के संदर्भ में भी हमने शिवसेना-भाजपा कार्यकर्ताओं से बात की। उनके कुछ समर्थकों का कहना था कि, 2016 में भंडारा का नगराध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने बिजली, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं पर खासा ध्यान केंद्रीत किया है लेकिन पार्टी के कुछ नगरसेवकों में उनके प्रति नाराजगी भी है, क्योंकि उनके काम नहीं हो पाए है? एैसे पार्षदों का ब्रेन वॉश कर उन्हें प्रचार के काम पर लगाने में हम कामयाबी हासिल कर लेगें?
वहीं शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं का कहना रहा कि, एकदम नगर परिषद के आदमी को केंद्र में भेजने का निर्णय लेना यह बात हजम नहीं हो रही? क्योंकि नगर परिषद का अपना एक दायरा होता है। गटर, नाली, सड़क, स्ट्रीट लाईट आदि लेकिन सांसद का दायरा बड़ा ही व्यापक होता है, देश (राष्ट्र) का समग्र विकास और गोंदिया-भंडारा जैसे पिछड़े जिले के लिए कोई बड़े उद्योग की योजना सेंट्रल से खींचकर लाना।
आप एक लोकल कान्ट्रेक्टर को एकाएक मल्टी स्टोऱिज इमारत का निर्माण करने को दे देंगे तो शायद वह अपने पद के साथ न्याय नहीं कर पायेगा? कुछ कार्यकर्ताओं का यह भी कहना रहा कि, गोंदिया-भंडारा जिले के स्थानीय नेताओं के हाथों में लोकसभा चुनाव की बागडोर नहीं सौंपी गई है तथा नागपुरिया नेताओं ने उन्हें दरी, चदर,. माईक व्यवस्था तक ही सीमित कर रखा है, जिसका उन्हें मलाल है।
भंडारा जिले में प्रचार की जिम्मेदारी राज्य के उर्जामंत्री और यहां के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुड़े संभाल रहे है, वहीं 2 वर्ष पूर्व जो यहां से एमएलसी बने है एैसे आमदार डॉ. परिणय फुके को गोंदिया जिले की जिम्मेदारी संभालने को दी गई है और दोनों में आपसी तालमेल अच्छी तरह से न होने की वजह से जो चुनाव सामग्री- झ़ंडे, बिल्ले, पोस्टर, बैनर, गाड़ी, घोड़ा वक्त पर कार्यकर्ताओं के दरवाजे पर पहुंचना चाहिए वो अब तक पर्याप्त मात्रा में पहुंचा नहीं है इसलिए ग्रामीण क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है। मोदी की सभा 3 अप्रैल को गोंदिया में आयोजित की गई है, उम्मीद है इसके बाद कार्यकर्ता अपने काम पर लगेंगे?
रवि आर्य