गोंदिया। दिनदहाड़े हुए चर्चित कल्लू यादव गोलीकांड ने अब एक नया मोड़ ले लिया है।
मुख्य न्यायाधीश (डीजे-1 कोर्ट, गोंदिया) के न्यायमूर्ति प्रतिनिधि साहब के समक्ष पेश किए गए आवेदन पर सुनवाई के बाद अदालत ने पुलिस को “इन्वेस्टिगेशन फिर से करो” के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने साफ कहा है कि इस मामले में रिंकू आसवानी की भूमिका की जांच आवश्यक है और पुलिस को धारा 173 (8) सीआरपीसी के तहत नई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
कोर्ट ने पुलिस कार्यप्रणाली पर उठाए गंभीर सवाल
सूचक लोकेश (कल्लू) यादव की ओर से दाखिल आवेदन में याचिकाकर्ता के वकील राजेश भाजीपाले ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि जांच में जो नई सामग्री सामने आई है, वह सीधे तौर पर रिंकू आसवानी की संलिप्तता की ओर संकेत करती है।
अदालत ने अनुपूरक चार्जशीट और अभिलेखों का अवलोकन करने के बाद पाया कि यद्यपि रिंकू के खिलाफ पर्याप्त सामग्री मौजूद थी, फिर भी पुलिस ने उसे आरोपी नहीं बनाया।
इस पर कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा है-जांच अधूरी है, पुलिस अब रिंकू आसवानी की भूमिका की गहराई से जांच करे और रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।
मास्टरमाइंड के बयान में तीन बार आया रिंकू का नाम
3 मार्च 2025 को गिरफ्तार किए गए गोलीकांड के मास्टरमाइंड प्रशांत मेश्राम का सरकारी पंचों के सामने रिकॉर्ड किया गया कबूलनामा अब केस की दिशा बदल सकता है।
चार्जशीट में दर्ज उस बयान में प्रशांत ने कहा था- कल्लू यादव को खत्म करने के लिए रिंकू आसवानी मुझे उकसा रहा था, कह रहा था-काम तमाम कर दे, बाकी मैं देख लूंगा, पैसों की चिंता मत कर !
कोर्ट ने इस बयान पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब यह तथ्य पहले से मौजूद था तो “पुलिस ने रिंकू को आरोपी के दायरे में क्यों नहीं लाया ?
वीडियोग्राफी और सरकारी पंचनामा बने साक्ष्य
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि पुलिस को प्रशांत मेश्राम ने रिंकू के साथ हुई मुलाकात के दो स्पॉट बताए उन दो स्थानों पर ले जाकर सरकारी पंचनामा और वीडियोग्राफी की थी
एक भीमनगर मैदान पानी टंकी के पास और दूसरा बावड़ी चौक स्थित छाबड़ा टाल के पास।
इन सबूतों को कोर्ट ने “महत्वपूर्ण” माना और कहा कि मुख्य आरोपी ने जो कबूलनामा दिया है इस मामले में वीडियो पंचनामा भी किया गया है।
कल्लू यादव पर अटैक केस- क्या है पूरा घटनाक्रम
11 जनवरी 2024 की दोपहर, सिंधी कॉलोनी क्षेत्र में पूर्व नगरसेवक लोकेश उर्फ कल्लू यादव पर नज़दीक से गोलियां चलाई गई थीं , जिसमें एक गोली कल्लू यादव के शरीर में जा धंसी।
हमले की प्लानिंग प्रशांत मेश्राम ने की थी और ‘ सुपारी शूटरों ‘ के जरिए वारदात को अंजाम दिया गया।
कल्लू यादव गंभीर रूप से घायल हुए, लेकिन नागपुर में हुए जटिल ऑपरेशन के बाद उनकी जान बच गई।
14 माह की फरारी के बाद मार्च 2025 में मास्टरमाइंड प्रशांत की गिरफ्तारी हुई।
अब तक पकड़े गए आरोपियों में से चार जेल में हैं, जबकि दो की ज़मानत गोंदिया कोर्ट और दो की हाईकोर्ट से हो चुकी है।
कोर्ट का ” री-इन्वेस्टिगेशन ” आदेश बना मिसाल
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह संभवतः गोंदिया कोर्ट का पहला ऐसा मामला है, जिसमें अदालत ने पुलिस को स्पष्ट रूप से “इन्वेस्टिगेशन फिर से करो” के निर्देश दिए हैं।
अब सभी की निगाहें पुलिस की अगली यानी दूसरे राउंड की जांच कार्रवाई पर टिक गई हैं।
क्या रिंकू आसवानी को आरोपी बनाया जाएगा? या जांच एक नया मोड़ लेगी?
रवि आर्य