Published On : Mon, Sep 23rd, 2019

गोंदिया: असहाय प्रशासन- बेखौफ नेताजी

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‘सर्कस मैदान’ पर बिजली चोरी की ‘सर्कस’

गोंदिया: माल-ए-मुफ्त, दिल-ए-बेरहम.. अर्थात जिस वस्तू का मुल्य न चुकाना पड़े उसके इस्तेमाल के प्रति, व्यक्ति का दिल बड़ा बेरहम हो जाता है। कुछ एैसी ही कहावत गोेंदिया के सर्कस मैदान पर फिर एकबार चरितार्थ हो गई।

विद्युत के बेजा इस्तेमाल में आयोजक और ग्राउंड ऑनर ने बेरहमी एैसी बरती कि, 22 सितंबर रविवार सुबह से बिजली चोरी का जो दौर शुरू हुआ जो कार्यक्रम संपन्न होने के बाद भी आज 23 सितंबर सोमवार सुबह 10 बजे तक जारी रहा।

विद्युत अधिनियम की धारा 126 और 135 अनुसार बिजली चोरी एक संगीन अपराध है तथा इसे नए कानून संशोधन पश्‍चात गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है, बावजूद इसके 22 सितंबर को स्थानीय गणेशनगर इलाके के सर्कस मैदान पर आयोजित सामूहिक विवाह समारोह चोरी की बिजली पर संपन्न हुआ।

इलाके के बाशिंदो ने चोरी के बिजली पर कार्यक्रम संपन्न होने की जानकारी देते बताया कि, आज 23 सितंबर सुबह भी विवाह स्थल (सर्कस मैदान) ग्राउंड पर मचान पर लगे सारे हेलोजिन लाईट जल रहे है, मौके पर पहुंच कर पाया कि, मैदान के 2 लाख स्केयर फिट के एरिया में बांस-बल्ली के सहारे जगह-जगह मचान बनाए गए थे तथा एक-एक मचान हाय वोल्टेज की सैंकड़ों हेलोजिन लाईटे बांधी गई थी।.

जोड़ो का विवाह संपन्न कराने हेतु 2 अलग-अलग बड़े मंडप (स्टेज) तैयार किए गए थे तथा बारातियों के भोजन हेतु 12 हजार स्केयर फिट का पेंडाल तैयार किया गया था, इतना ही नही आमंत्रित अतिथीयों हेतु एक विशाल स्टेज बनाया गया था, जिसमें सैकड़ों की संख्या में हेलोजिन लाईट बांधी गई थी, जगह-जगह कुलर और पंखो का इंतजाम भी किया गया था, यह सारे के सारे इलेक्ट्रानिक उपकरण चोरी की बिजली पर संचालित हुए तथा इसके लिए सर्कस मैदान के आस-पास के ट्रान्सफार्मर का इस्तेमाल कर ग्राउंड के भीतर अवैध कनेक्शन पहुंचाया गया, साथ ही सर्कस मैदान की दीवार से लगे जितने भी स्ट्रीट लाईट के खंभे है, उन बिजली के खंभों के तारों में डायरेक्ट हुक लगाकर लाखों रूपये विद्युत की चोरी की गई।

करे कोई.. भरे कोई?
महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लि. द्वारा स्थापित ट्रान्सफार्मर पर विद्युत मित्र और संबंधित इलाके के लाईन मेन का नाम और कोड दर्ज होता है। साथ ही इलाके में होने वाली कन्जंशन का लोड ट्रान्सफार्मर में लगे एक मीटर में दर्ज होता है, उस बड़े मीटर की रीडिंग लेने के बाद ही विद्युत मंडल बिजली बिलोंं का वितरण करता है, लिहाजा होनेवाली चोरी की यूनिट का गुणा-भाग कर उस पर अधिभार (रकम) को संबंधित विद्युत उपभोक्ताओं के बिलों में जोड़कर उन्हें भेज दिया जाता है, याने करे कोई और भरे कोई? इसी तर्ज पर सारी सर्कस वर्षो से चल रही है, इस ग्राउंड पर आयोजित होनेवाला लगभग हर कार्यक्रम चोरी के बिजली पर ही संपन्न होता है, लिहाजा इस चोरी के बिजली का भूगतान गणेश नगरवासी करते है।
अब सर्कस मैदान के आस-पास रहनेवाले बाशिदों की मांग है कि, इस ग्राउंड के सर्कल में लगे चारों ट्रान्सफार्मर हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किए जाए साथ ही विद्युत खंभों की तारें बदलकर उसे प्लास्टिक कोटेड कर दिया जाए, तभी सर्कस मैदान पर बिजली चोरी की सर्कस रूकेगी।

जोड़ों को महंगी भेंट वस्तु और हवाई यात्रा की टिकट दी गई
चुनाव आयोग के आदर्श आचार संहिता का माखौल गोंदिया में कैसे उड़ाया जा रहा है? इसी की एक बानगी सर्कस मैदान पर रविवार 22 सितंबर को आयोजित सामूहिक विवाह समारोह के दौरान दिखाई दी। पवित्र धार्मिक तिर्थ यात्रा पर भेजने के लिए जोड़ों का चयन लक्की ड्रॉ के माध्यम से किया गया।

भाग्यशाली जोड़ों को हवाई टिकट मंच से गणमान्यों के हाथों सौंपा गया। इतना ही नहीं, विवाह समारोह में शामिल हुए 2 दर्जन जोड़ों को महंगी भेंट वस्तूएं भी प्रदान की गर्ई, अब एैसे में सवाल यह उठता है, जब चुनाव के ऐलान के साथ 21 अक्टूबर से राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है तो यह कवायद मतदाताओं को प्रलोभित करने के दायरे में आती है या नहीं आती? इसका संज्ञान भी जिला निर्वाचन अधिकारी व राज्य चुनाव आयुक्त ने लेना चाहिए?