Published On : Sat, Sep 21st, 2019

गोंदिया: धड़ाम से गिरा, नेताजी की लोकप्रियता का ग्राफ

Advertisement

गोंदिया सीट पर चुनावी रोचकता एैसी कि उम्मदीवार को ही नहीं पता कि, वह कौनसी पार्टी से चुनाव लड़ेगा?

गोंदिया: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है और आगामी 21 अक्टू. को मतदान तथा 24 अक्टू को चुनाव परिणाम घोषित किए जायेंगे। चुनाव आयोग द्वारा तारिखों की घोषणा होने के साथ ही अब गोंदिया सीट को लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई है, चुनावी रोचकता एैसी कि उम्मीदवार को ही नहीं पता कि वह कौनसी पार्टी और कौन से चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ेगा?

Gold Rate
15 May 2025
Gold 24 KT 92,100/-
Gold 22 KT 85,700/-
Silver/Kg 94,800/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

नेताजी का मन अभी भी डावांडोल है और बीच भंवर हिचकोले खा रहा है, कभी दिल कहता है आज ही ऐलान कर दूं कि मैं भगवा दुप्पटा धारण कर रहा हूँ कि तभी मन में ख्यालात आ जाते है कि अगर टिकट शिवसेना के कोटे में दे दी गई तो फिर मेरे राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? लिहाजा नेताजी ने उम्मीदवारी को लेकर शिवसेना में भी अप्लाय किया हुआ है और कांग्रेस का दामन भी नहीं छोड़ रहे है, कुल मिलाकर उनकी स्थिति उस प्रसिद्ध तबला वादक जैसी बनी हुई है, जो एक तबले पर नहीं बल्कि 3 तबलों पर हाथ रखे हुए है, अब एैसे में सूर और ताल कब फिट होगा, इसी तारिख का इंतजार सभी को है।

दिल कहीं , दिमाग कहीं…कैसे होगी नैय्या पार
बड़े बुजुर्ग कहते है आधे अधुरे मन से किया गया काम कभी सफल नहीं होता, लेकिन नेताजी को कौन समझाए?
राजनीति के जानकारों की मानें तो जब राज्यमंत्री मंडल का साढ़े तीन माह पूर्व विस्तार हो रहा था, उसी वक्त अपने गुरू के साथ अगर वे भगवा दुप्पटा धारण कर लेते तो उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होता, अब तो इतना रायता फैल गया है, कि नेताजी इस कदर अविश्‍वसनीय हो चले है कि जिस कांग्रेसी परंपरागत वोट बैंक का वे दम भरते थे वह जातिगत समीकरण भी अब गड़बड़ा गया है तथा पिछड़े तबके का वोटर भी अब उनसे दूर हो चला है।
गोंदिया सीट को लेकर जारी असमंजस पर हमने कई आम मतदाताओं से चर्चा की, हमारा सर्वे कहता है, नेताजी का ग्राफ बुरी तरह से यस-नो.. यस-नो… वाली स्थिति की वजह से गिर चुका है, अब उन पर अविश्‍वसनीयता का टैग लग लगा है, इसलिए कांग्रेस, शिवसेना, भाजपा के कोई भी कार्यकर्ता उस पर यह यकीन करने के लिए तैयार नहीं है कि, उनकी पार्टी में नेताजी कब और कितने दिनों तक बने रहेंगे?

राष्ट्रवादी भी अपने पत्ते नहीं खोल रही
इस मर्तबा काँग्रेस और राष्ट्रवादी गठबंधन के तहत विधानसभा चुनाव लड़ रहे है, क्योंकि गोंदिया की सीट पर कांग्रेस का दावा है एैसे में नेताजी के भगवा दुप्पटा धारण करने पर गठबंधन का उम्मीदवार कौन बनेगा? इसे लेकर भी असमंजस बना हुआ है।

अलबत्ता इतना जरूर है कि, राष्ट्रवादी काँग्रेस ने पूर्व जि.प. अध्यक्ष विजय शिवणकर को गोंदिया में जनसंपर्क दौरा और कार्यक्रम में लगा दिया है, जिससे कयास लगाए जा रहे है कि, नाना पटोले और प्रफुल पटेल के बीच यह आपसी सहमति बन चुकी है कि, नेताजी के भगवा दुप्पटा धारण करने पर विजय शिवणकर पंजा चुनाव चिन्ह से गोंदिया सीट पर भाग्य आजमाएंगे? एैसे में दोनों पार्टियों का सम्मान बना रहेगा, क्योंकि उम्मीदवार राष्ट्रवादी का होगा और चुनाव चिन्ह पंजे का?

यहां बता दें कि, नेताजी के दलबदल की जानकारी मिलने के बाद कांग्रेस का एक धड़ा बेहद सक्रिय हो चला है, तथा दुुसरे पंक्ति के आधा दर्जन नेता ग्रामीण इलाकों का लगातार दौरा करते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे है तथा निष्ठावान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा यह ऐलान हो चुका है कि, किसी के पार्टी बदलने से पक्ष के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता और वे पुरी ताकत से पंजा चुनाव चिन्ह को विजयी बनाएंगे।

बागी बिगाड़ेंगे.. बीजेपी का खेल
दशकों से पार्टी के लिए एक समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर काम काम करनेवाले 3-4 प्रमुख पदाधिकारी, इंटरव्यू देने के बाद यह आस लगाए बैठे है कि, बीजेपी का टिकट उन्हीं की झोली में आएगा, लेकिन आयातित नेता बाजी मार जाता है तो एैसे में यह समर्पित कार्यकर्ता क्या आने वाले वक्त में भी दरी, चद्दर उठाने और माइक लगाने जैसा काम करते रहेंगे?

चूंकि अब बीजेपी का फाइव स्टार कल्चर बन चुका है, इसलिए अब पार्टी पदाधिकारियों से पुरानी उम्मीद नहीं की जा सकती। एक पदाधिकारी ने तो जलाराम लॉन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अपना नाम भी आगे कर दिया और उसके समर्थकों ने मंच से यह ऐलान भी जारी कर दिया कि,3 हजार सामूहिक इस्तीफें होंगे और हमारा चेहता निर्दलीय चुनाव लड़ेगा।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार इन बागी तेवरों की जानकारी जैसे ही आलाकमान को मिली, पार्टी ने इस पदाधिकारी की हलचल पर नजर रखनी शुरू कर दी है और आलाकमान अपनी आँखे तरेरे हुए है।

देखना दिलचस्प होगा कि, पार्टी लाइन के बाहर जाकर यह पदाधिकारी क्या इतनी हिम्मत जुटा पाता है कि अपने परिवार के व्यवसाय की चिंता किए बिना आलाकमान से दो-दो हाथ कर ले? अगर यह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करता है तो निश्‍चित ही गोंदिया सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होगा और नेताजी का खेल भी बिगड़ जायेगा?

Ravi Arya

Advertisement
Advertisement
Advertisement