गोंदिया। जिले की सियासत एक बार फिर गरमाई हुई है- दल बदल की राजनीति का ताजा चेहरा बनकर उभरे पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल दोबारा सुर्खियों में हैं।
आगामी एमएलसी चुनाव में अपने बेटे प्रफुल्ल अग्रवाल को टिकट दिलाने की कवायद में वे अब एक बार फिर भाजपा का रुख करने जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, गोपालदास अग्रवाल ने मुंबई में चंद्रशेखर बावनकुले और राधाकृष्ण विखे पाटिल से गुप्त चर्चा के बाद पार्टी प्रवेश की रूपरेखा तय कर ली है।
संकेत मिले हैं कि वे अगले सप्ताह प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चौहान की मौजूदगी में परिवार और समर्थकों के साथ बीजेपी में पुनः प्रवेश करने वाले हैं।
“मंत्री पद” की चाह में छोड़ा था कांग्रेस का दामन कहते हैं सिद्धांतों के प्रति व्यक्ति को एकनिष्ठ रहना चाहिए लेकिन राजनीति में स्थायी कुछ नहीं होता !
गोपालदास अग्रवाल ने 2019 में मंत्री पद की उम्मीद लेकर 26 साल की कांग्रेस सेवा छोड़ते हुए उन्होंने नागपुर में बीजेपी जॉइन की थी।
तब देवेंद्र फडणवीस ने मंच से कहा था -गोपालदास शरीर से कांग्रेस में, पर मन से बीजेपी में थे इसलिए विपक्ष ( कांग्रेस ) में होने के बावजूद हमने उन्हें लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बनाया। टिकट का वचन देते फडणवीस ने कहा था- गोंदिया विधानसभा में बीजेपी ने कभी अपने बूते जीत हासिल नहीं की है अब गोंदिया में कमल खिलेगा।
लेकिन जनता ने उन्हें सिरे से नकार दिया- नतीजतन निर्दलीय विनोद अग्रवाल ने जीत दर्ज की और गोपालदास का ग्राफ नीचे गिर गया और वे चुनाव हार गए।
2024 में कांग्रेस की लहर देख फिर की थी घर वापसी
2024 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से कांग्रेस को उम्मीद से ज़्यादा सफलता मिली, और यही देखकर गोपालदास ने फिर कांग्रेस में घर वापसी की।
सर्कस मैदान पर आयोजित राहुल गांधी की गोंदिया सभा में गोपालदास ने मंच से “बीजेपी को पानी पी-पी कर कोसा”, लेकिन जनता ने इस बार भी भरोसा नहीं जताया।
परिणाम- कांग्रेस टिकट पर गोपालदास को 81,404 वोट, जबकि भाजपा के विनोद अग्रवाल को 1,43,012 वोट मिले और 61,608 वोटों से करारी हार मिली।
अब बेटे को टिकट दिलाने की जुगत- कमल खिलेगा या कांटा चुभेगा!
सवाल बड़ा है -क्या बीजेपी , 2 बार हार चुके पिता की जगह बेटे प्रफुल्ल अग्रवाल पर दांव लगाएगी ?
दूसरी तरफ विधायक विनोद अग्रवाल और पूर्व मंत्री डॉ. परिणय फुके के समर्थकों में भारी नाराज़गी देखी जा रही है। उनके समर्थक वोटर क्या प्रफुल्ल अग्रवाल के पक्ष में एमएलसी चुनाव दौरान मतदान करेंगे ?
बता दें कि गोंदिया की राजनीति में “थैली भेंट संस्कृति” के किस्से भी ज़ोरों पर हैं -ऐसे में पैसा ( धनबल ) और परिवार वाद की राजनीति क्या एमएलसी चुनाव में टिकट दिलाने व चुनावी समीकरण बदलने में सफल होगी यह देखना दिलचस्प होगा।
अब सबकी निगाहें गोपालदास के ‘घर वापसी’ पर है-क्या बीजेपी करेगी स्वागत या कार्यकर्ता दिखाएंगे दूरी ?
बहरहाल गोंदिया की सियासत में एक बार फिर बड़ी हलचल इस बात को लेकर शुरू हो गई है कि अगर गोपालदास का प्रवेश हो जाता है तो आगामी नगर परिषद चुनाव में टिकट के बंटवारे का जिम्मा किसे सौंपा जाएगा , क्या जमीन से जुड़े कट्टर भाजपा कार्यकर्ता गोपालदास को स्वीकार कर पाएंगे ? या फिर बगावत और विरोध के स्वर उठेंगे और बीजेपी विरुद्ध बीजेपी निकाय चुनाव देखने को मिलेगा और इसका ख़ामियाजा भी बीजेपी भुगतेगी।
कुल मिलाकर आने वाला समय तय करेगा कि गोंदिया में कमल खिलेगा या कांटा चुभेगा!
रवि आर्य