Published On : Sat, Jul 4th, 2020

गोंदिया:फिर न.प सभापति चुनाव के आसार

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हाइकोर्ट का आर्डर:आघाड़ी के गटनेता कुथे ही बने रहेंगे

गोंदिया। मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार 3 जुलाई को एक अहम फैसला सुनाते हुए- गोंदिया शहर परिवर्तन आघाड़ी की जो पहले की स्थिति थी उसी को कायम रखते हुए राजकुमार कुथे ही गटनेता बने रहेंगे ऐसा आर्डर जारी किया है।

कोर्ट ने 30 जनवरी 2020 को आघाड़ी द्वारा बुलाई गई विशेष सभा को खारिज करते कहा – वो प्रोसिडिंग ही गलत थी , कुथे को हटाने का कोई तथ्य नहीं था और जो प्रोसीजर्स फॉलो किया गया वह भी गलत था , ऐसा कहते हाईकोर्ट ने गोंदिया कलेक्टर द्वारा जारी किए गए उस आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें 14 फरवरी 2020 को गोंदिया शहर परिवर्तन आघाड़ी के नए गट नेता के तौर पर ललिता पंकज यादव का चयन किया गया था।

कोर्ट ने गोंदिया नगर परिषद विषय समिति तथा सभापति चुनाव पुर्व जो मुख्याधिकारी की अपील पर काउंसलर, पीठासीन अधिकारी जो अप्वॉइंट किए गए थे उन्हें भी खारिज कर दिया।

अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि यादव द्वारा हाईकोर्ट में केविट फाइल किया गया पर जानबूझकर वकील अप्वॉइंट नहीं किया ताकि तारीख पर तारीख में कोर्ट का वक्त बर्बाद हो लिहाजा अदालत ने यादव पर 5000 का कास्ट लगाते हुए 2 सप्ताह के अंदर यह जुर्माना राशि याचिकाकर्ता राजकुमार कुथे को सौंपे यह आदेश भी दिए हैं।

कुथे के विरुद्ध में एक रिट पिटिशन फाइल किया गया था उसे यादव ने विड्रोल किया , इस बात का संज्ञान भी कोर्ट द्वारा लिया गया।

यादव के और से अदालत में अपना पक्ष रखते हुए उनके वकील ने कहा – हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तब तक गटनेता के मामले को स्टे किया जाए , उस कंटेंशन (अपील) को भी हाईकोर्ट ने रिजेक्ट किया।

सत्ता अंक गणित का खेल , इसलिए राजनेता दल और पाला बदलते हैं

गौरतलब है कि न,प, विषय समिति तथा सभापति चुनाव पूर्व गोंदिया शहर परिवर्तन आघाड़ी की 30 जनवरी 2020 को विशेष सभा लेकर कोरम 8 में से 5 सदस्य उपस्थित होने से पूरा मानते हुए ललिता पंकज यादव को नया गटनेता घोषित करते उन्हें विहिप निकालने के अधिकार दिए गए थे तथा इस बाबत जिलाधिकारी इन्हें चुनावी नोटिफिकेशन निकालने से पहले गटनेता के परिवर्तन की सूचना दिए जाने की बात कही गई।
सभापति चुनाव दौरान आघाड़ी के 5 पार्षद , राष्ट्रवादी 7 और कांग्रेस के 9 पार्षदों ने भाजपा के भीतर मतभेद का फायदा उठाकर आपसी गठजोड़ कर लिया और चुनाव दौरान न.प में सत्ता के समीकरण ही बदल दिए।

आघाड़ी की ओर से उम्मीदवार संकल्प खोबरागड़े द्वारा नामांकन गलत भरे जाने की वजह से उनका फॉर्म निरस्त हो गया और सदन में 19 वोटों की ताकत रखने वाली भाजपा के एकमात्र पार्षद जितेंद्र ( बंटी ) पंचबुद्धे खुशकिस्मती से सभापति चुने गए।

बाकी के सारे पद तिकड़ी के गठजोड़ ने आपस में बांट लिए इस बात से खफा होकर नगरसेवक राजकुमार कुथे ने हाईकोर्ट का रुख किया और याचिका दाखिल करते सभापति के चुनाव प्रक्रिया को चुनौती दी ? जिस पर चयनित सभी सभापति को अगला आदेश आने तक पावर लेस (बिना विभाग) रखा गया था ।

अब अदालत का फैसला आने के बाद दोबारा विषय समिति और सभापति पद के चुनाव होने के आसार बने हुए हैं ।

ऐसे में आघाड़ी के बीच मची इस आपसी राजनैतिक घमासान का नतीजा क्या होता है तथा शिवसेना के टिकट से चुनाव जीते दो और एक निर्दलीय पार्षद क्या भूमिका अपनाते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।

रवि आर्य