गोंदिया। सोचिए, 1995 में एक विशाल पानी की टंकी बनाई गई, जिसके बाद सपनों में गांववालों ने अपने नलों से बहता साफ पानी देखा था , लेकिन हकीकत में, 30 साल बाद भी नलों से एक बूंद पानी नहीं टपका।
गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव तहसील के वड़ेगांव ( रेल्वे ) की जल परियोजना की कहानी किसी अधूरे धारावाहिक जैसी ही है , जहां गांव के लोग अब भी दूषित हैंडपंप के पानी पर निर्भर है।
आखिरकार 8 अगस्त शुक्रवार को महिलाओं ने स्वच्छ पानी की किल्लत को लेकर ” गागर मोर्चा ” निकाला , सिर पर घड़े .. पैदल मार्च और सीधा विधायक की सभा में पहुंचकर किया हंगामा।
गांव के लोगों की साफ मांग थी अबकी बार वादे नहीं ,पानी चाहिए वह भी तुरंत ? अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अल्टीमेटम देते हुए महिलाओं ने नल से जल नहीं आने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
जल जीवन मिशन : * ” ठेकेदार गायब-गांव प्यासा “
दरअसल मामला कुछ यूं है कि जल जीवन मिशन के तहत जिला परिषद की ओर से अर्जुनी मोरगांव तहसील के वड़ेगांव में 1995 में एक पानी टंकी का निर्माण किया गया था , टंकी बनी पर आगे का काम बंद हो गया। फिर हंगामा हुआ तो वर्ष 2013 स्विच रूम बना… फिर काम ठप। फिर चुनाव के आहट सुनते ही जन प्रतिनिधि जागे अधिकारियों को हड़काया तो वर्ष 2023 में सीमेंट सड़कें तोड़ी गई और पाइपलाइन बिछी नल के पानी का कनेक्शन अधिक से अधिक ग्रामीण घरों तक पहुंचाने के लिए नल लगाए गए, मगर पानी ? नदारद!
इस दौरान जिला परिषद जलापूर्ति विभाग में ठेकेदार अपना जुगाड़ लगाकर बिल लेकर गायब हो गया ,टूटी सड़कें जस की तस है और नल से जल नदारद ? हालत यह है कि गांव के लोग दूषित हैंडपंप के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं , इस बीच बीमारियों का खतरा बढ़ा, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
” गागर मोर्चा ” वड़ेगांव की प्यास.. गुस्से में उबली
8 अगस्त शुक्रवार को, सरपंच श्रीकांत लोनारे के नेतृत्व में सैकड़ो महिलाएं घड़ों के साथ “गागर मोर्चा” लेकर सड़कों पर निकली।
पांव से पांव मिलाते हुए, सिर पर पानी के खाली घड़े, सीधा अर्जुनी मोरगांव में विधायक की आमसभा में जा पहुंचे। वहां माहौल गरमा गया “अबकी बार पानी दो, वरना वोट भूल जाओ!” जैसी नारों की गूंज सभा में फैल गई। ग्रामीणों की दो टूक मांग है कि हमें वादा नहीं चाहिए , पानी की समस्या का तुरंत समाधान चाहिए ? टूटी सड़कों की मरम्मत चाहिए और इन सबों के लिए जिम्मेदार दोषी ठेकेदार और अफसरों पर कार्रवाई चाहिए। बता दें कि गोंदिया जिले में ये सिर्फ एक गांव की प्यास की कहानी नहीं, ये 30 साल की उम्मीदें, धोखे और अब आंदोलन की दास्तां है।
रवि आर्य