गोंदिया: 6 दिवसीय विशेष ‘प्राकृतिक चिकित्सा एवं आहार उपचार योगासन शिविर’ का आयोजन गायत्री परिवार के तत्वाधान में गोंदिया के सिंधी मनिहारी धर्मशाला में किया गया जिसमें रोगमुक्त जीवन का नया रास्ता दिखाया गया वो भी बिना दवाओं, इंजेक्शन या मशीनों के। इस शिविर में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया और जाना कि किस तरह मिट्टी, जल, वायु, सूर्य और पौधों के तत्वों से ही बड़े से बड़ा रोग को ठीक किया जा सकता है। आधुनिक दवाओं से थके मरीजों को इस शिविर के माध्यम से बहुत बड़ी राहत मिली है।
क्या है प्राकृतिक चिकित्सा ?
यह चिकित्सा पद्धति भारत के प्राचीन ऋषियों की देन है, जिसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी मान्यता दे चुका है।
इसे “नेचुरोपैथी” या “नेचर क्योर” भी कहा जाता है।
इसमें शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को सक्रिय कर बिना किसी साइड इफेक्ट के इलाज किया जाता है।
शिविर में क्या-क्या हुआ ?
योग से रोग कैसे दूर भगाया जाता है इस शिविर में योगासन के माध्यम से बताया गया।
मिट्टी चिकित्सा: शरीर पर मिट्टी लगाकर विषैले तत्वों को बाहर निकालना, त्वचा को ठंडक और रोगों से मुक्ति देना।
जल चिकित्सा (हाइड्रोथेरेपी):
गर्म पानी की बोतलों से स्नान व सिंचन विधियों से दर्द निवारण, रक्त संचार में सुधार और मांसपेशियों को आराम।
भाप स्नान (स्टीम बाथ):
शरीर का डिटॉक्स, त्वचा की सफाई, फेफड़ों व श्वसन तंत्र को शुद्ध करने में उपयोगी।
सूर्य चिकित्सा: सूरज की किरणों द्वारा विटामिन D, मानसिक स्फूर्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना।
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर:
बिना दवा, शरीर के बिंदुओं पर दबाव देकर ऊर्जा संतुलन और दर्द का समाधान ।
रबर नीति: एक पारंपरिक नेचर क्योर पद्धति, जिसमें शरीर को प्राकृतिक स्पर्श और दबाव से संतुलित किया जाता है।
आहार बना औषधि , फूड थैरेपी की सीख
शिविर में आंवल खेड़ा (आगरा ) से पधारे जितेंद्र भाई साहब, नंदू भाई साहब , मुनेश भाई साहब और उनकी पूरी टीम द्वारा बताया गया कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन सबसे बड़ी दवा है , इसलिए आहार में 20% अम्लीय और 80% क्षारीय तत्व होने चाहिए , बेहतर आहार ही स्वस्थ जीवन का आधार है इसलिए मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ ,अंकुरित अनाज, वनस्पति सूप, गेहूं गुड़ से बना दलिया आहार का संतुलित सेवन रोगों से बचाव की शक्ति भी देता है शिविर में इससे शरीर की आंतरिक सफाई, पाचन सुधार, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भारी बढ़ोतरी देखी गई , जिसका प्रत्यक्ष अनुभव शिविर समापन अवसर पर मरीजों ने बताया कि उनका वजन किस तरह से कम हुआ है और वे खुद को कितना फिट महसूस कर रहे है। शिविर में योगासन भी सिखाया गया जिससे सिरदर्द, एलर्जी, अपच, दृष्टि दोष, पाचन संबंधी रोग, थकान, अनिद्रा जैसे रोगों में राहत मिली है ऐसा अनुभव भी रोगियों ने व्यक्त किया।
नेचर क्योर याने खुद के भीतर छिपे डॉक्टर को जगाना
शिविर समापन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथि पत्रकार- रवि आर्य , सीए- विनोद जैन , जि.प पूर्व बांधकाम सभापति संजय टेंभरे ने अपना मनोगत व्यक्त करते कहा- प्राकृतिक चिकित्सा सिर्फ इलाज नहीं, यह जीवन जीने की कला है , आज की महंगी चिकित्सा के दौर में यह सस्ती, सरल और सुलभ विकल्प है जो आत्मनिर्भरता भी सिखाता है। यह 6 दिवसीय शिविर एक मिसाल है जहां आधुनिक दौड़ में भी प्रकृति की शरण लेकर लोग स्वस्थ हुए हैं आत्मबल बढ़ा और जीवनशैली में परिवर्तन आया है। नेचर क्योर यानी खुद के भीतर छिपे डॉक्टर को जगाना और ये शिविर इसी संदेश के साथ आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है। शिविर के समापन अवसर पर प्रस्तावना अविनाश ठाकुर ने रखी , कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन अमर वराड़े ने किया तथा अंत में आभार प्रदीप चामट ने माना।
रवि आर्य