Published On : Fri, Apr 5th, 2024
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया/ भंडारा : BJP के सुनील मेंढे का भविष्य नेताओं की इच्छा और मतदाताओं की कृपा पर निर्भर

Advertisement

बेरोजगारी , जाति जनगणना और महंगाई को बनाया कांग्रेस ने हथियार , आदिवासी और गरीब तबके को विश्वास , गेम कभी भी पलट सकता है ?

गोंदिया-भंडारा जिले में जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है वैसे ही चुनाव सरगर्मी भी तेज़ होते जा रही है।

Gold Rate
Tuesday 21 Jan. 2025
Gold 24 KT 79,700 /-
Gold 22 KT 74,100 /-
Silver / Kg 92,000 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

महायुति और महा आघाड़ी के नेता और उम्मीदवार लगातार जनता के बीच पहुंचकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं।

कोई भी योद्धा हो रण में विश्वास के साथ ही उतारता है लेकिन मौजूदा सांसद सुनील मेंढे के साथ ऐसा नहीं है , वे अपनी उपलब्धियां गिनाने के बजाय केंद्र की मोदी सरकार ने क्या काम किए हैं वहीं गिनाते फिर रहे , इसकी एक बड़ी वजह उनका जनता की कसौटियों पर खरा नहीं उतारना है।

5 साल में किए गए छिट-पुट कामों के अलावा भाजपा उम्मीदवार सुनील मेंढे के साथ कोई बड़ी उपलब्धि नहीं ऐसे में सांसद की निष्क्रियता और खराब स्थिति के बावजूद पार्टी ने उन दांव लगाया है जिसकी वजह से बीजेपी के हाथ से लोकसभा चुनाव फिसलता दिखाई दे रहा है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव का टिकट दोबारा सांसद सुनील मेंढे को दिए जाने से मतदाता भी नाखुश हैं इसलिए मेंढे का कद घटता दिख रहा है।

बीजेपी में है कई गुट , इसलिए गुटबाज़ी चरम पर
गोंदिया भंडारा जिले के अंदर बीजेपी में कई गुट है इसलिए गुटबाज़ी स्वाभाविक है , गोंदिया भंडारा लोकसभा सीट पर दावेदारी ठोंक रहे राष्ट्रवादी नेता प्रफुल्ल पटेल सहित 3 के टिकट रद्द हो गए हैं , भाजपा के भीतर आपसी गुटबाजी का ही नतीजा है कि एक मजबूत विपक्ष ( इंडी गठबंधन) उनके लिए अब चुनौती बन रहा है तथा लगातार राष्ट्रवादी (शरद गुट ) , शिवसेना ( उबाठा ) और कांग्रेस के दिग्गज नेता गोंदिया भंडारा जिले में डा. प्रशांत पडोले के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं , इसी कड़ी में 13 अप्रैल को राहुल गांधी का भी चुनावी दौरा होने जा रहा है।

चुनाव लड़ रहे सुनील मेंढे को यह एहसास हो गया है और उनके पास तमाम तरह के फीडबैक भी आते होंगे , राम मंदिर के लोकार्पण के बावजूद भी कोई अट्रैक्शन चुनाव में अब तक नहीं आया।

महाराष्ट्र में एलाइंस करने और नए पार्टियों और कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कसरत भी नाकाम होती दिख रही।

वहीं कांग्रेस ने युथ ( युवा मतदाता ) के साथ राफ्ता कायम कर लिया है खासकर बेरोजगारी , जाति जनगणना और महंगाई जैसे मुद्दों पर आदिवासी और गरीब तबके के मतदाताओं का विश्वास कांग्रेस हासिल करने में सफल होते दिख रही है और मुस्लिम मतदाताओं को भी विश्वास है कि पंजा जीतेगा ।
अपनी जीत को सुनिश्चित और पक्का करने के लिए इंडी गठबंधन के बड़े नेताओं ने कमर कस ली है , शरद पवार के भतीजे रोहित पवार आए और उन्होंने एक बड़ी सभा की अब मुकुल वासनिक और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले दौरे पर हैं ।

BJP के हाथ से फिसलता दिख रहा लोकसभा चुनाव
कार्यकर्ताओं की हमेशा उम्मीद होती है कि जब बड़े नेता अपना हित देख सकते हैं तो हम छोटे नेता अपना हित देखें तो इसमें क्या हर्ज है ?
अंदर खाने गुटबाजी का शिकार बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने बताया – भाजपा में सुनील मेंढे को उतना अधिकार हासिल नहीं है जिसकी वजह से उन्हें अपना पैर ढूंढने में उनको दिक्कत हो रही है।

पूर्व में कार्यकर्ताओं की शिकायतों को सुना जाता था और तेजी से हल किया जाता था लेकिन अब कोई सुनवाई नहीं होती इस बात का उन्हें मलाल है।
सुनील मेंढे के प्रभाव की कमी के पीछे एक संभावित कारण यह भी है कि महायुति में शामिल होने के बाद प्रफुल्ल पटेल ने जैसी पकड़ बना ली है , सुनील मेंढे की भाजपा में वैसी हैसियत नहीं है।

सुनील मेंढे की सबसे बड़ी चिंता यह है कि गुटबाज़ी के चलते कार्यकर्ताओं के बीच संतुलन नहीं बिठा पा रहे हैं इसी वजह से उनकी स्थिति कमजोर है।
हालांकि बीजेपी एक कैडर आधारित पार्टी है , भाजपा विचारधारा वाले नेता और मतदाताओं के लिए अपना किला बचाने की नौबत आन पड़ी है , देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपाई गढ़ बचाने में कामयाब होंगे ?

आखिर में बताते चलें कि सुनील मेंढे अब भाजपा की वैसी आभा नहीं रहे जैसी 2019 में थे , 5 साल का वक्त देने के बाद जनता अब उन्हें परख चुकी है , वे कोई भी बड़ा नया उद्योग गोंदिया भंडारा जिले में स्थापित नहीं कर पाए और 3 बड़ी परियोजनाओं ( भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमि BHEL ) का सोलर प्रकल्प , विडियो कॉन तथा बायोडीजल उत्पाद के लिए कृषि आधारित इथेनॉल बनाने की भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ( बीपीसीएल ) की परियोजना को भी वे शुरू नहीं करा सके लिहाजा मतदाताओं की नज़र में सुनील मेंढे की छबि एक निष्क्रिय सांसद के रूप में बन चुकी है।


रवि आर्य

Advertisement