कोराडी: तीर्थ-स्थल परिसर के आस-पास स्थित गोमती नदी व कोलार नदी तट पर अनेकों प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों के पेड-पौधे सामाजिक वनीकरण विभाग की अनदेखी की वजह से गायब हो रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विदर्भ के नीम हकीम और बैगा लोगों द्वारा चोरी-छिपे खुदाई करके बाजारों में बेचते हुये रंगे हाथों पकडा जा सकता है।
हाल ही में इस प्रतिनिधि द्वारा उक्त परिसर में निरीक्षण करने पर वर्धा जिले के शिंदी-रेलवे निवासी घुमट्टू राजवैध-बैगा को आयुर्वेदिक औषधियों के पेड-पौधो के पंक्चांग था कंन्द-जडैं खोदकर ले जाते हुए पाया गया है।
आयुर्वेदिक औषधियों के जानकारों से पता चला है कि कोराडी देवी मंदिर तीर्थ- परिसर से लगकर स्थित खापरखेडा थोडा से सटकर गोमुख किल्ला एवं गोमती नदी के डोह परिसर में प्रचुर मात्रा में चिरायता के वहूमूल्य पौधे पाये जाते है।आयुर्वेदिक विशारदों के अनुसार चरायता के पंच्चांग का चूर्ण उसका रस पान करने से मलेरिया विषमज्वर व टाइफायड तथा मधुमेह(सुगर) की नामक प्राणातक बीमारी से निजात पाया जा सकता है ,बशर्ते तत्सबंध मे आयुर्वेदिक चिकित्सक(राजवैध)एवं नाडी वैध विशेषज्ञों की सलाह लेना अनिवार्य माना गया है.
उसी प्रकार इस परिसर में अश्वगंधा के पौधे बहुतायात मे पाया जाता था,परंतु इसके जानकार वैगा-राजवैधों द्वारा चोरी-छिपे खुदाई करके स्मगलिंग करने की वज़ह से यह अश्वगंधा नामक औषधियों के वहूमूल्य पौधे विलुप्त होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अश्वगंधा औषधि के विधिवत् उपयोग करने से वात-लकवा कमज़ोरी तथा नंपुंसकता की बीमारी समाप्त हो जाती है।आयुर्वेदिक डाक्टरों के अनुसार अश्वगंधा से निर्मित दबाईयां सभी आयुर्वेदिक दबाई दुकानों में जैसे:-अश्वगंधारिष्ट, उसीरासव,अश्वगंधा चूर्ण व टैबलेट (गोलियां) उपलव्ध हो सकती हैं।
उसी प्रकार महिलाओं मे होने वाली बीमारियों जैसे सफेद प्रदर रोग,खूनी प्रदर रोग (ल्यूकोरिया),कमर व गुप्तांगों में खुरदुरापन व चर्मविकार की ढेर सारी आयुर्वेदिक वनस्पति औषधियों के अलावा ह्रदय रोगों से संबंधित अर्जुन के बृक्ष,प्रमेह-शीघ्रपतन की औषधि गिलोय-गुरबेल(गुरुचि) इत्यादि अनेक पेड-पौधे तथा लताएं- बेलाएं तथा कामरोग-नपुंसकता और बांझपन इत्यादि रोगों से संबंधित आयुर्वेदिक औषधियों मे कौंच-केवांच तथा सेमल मुशला जैसी औषधियों के पेड़ पौधे प्रचुर मात्रा पाईं जातीं हैं.
एमओडीआई फाउंडेशन ने से मांग की हैं कि महाराष्ट्र शासन ने इस परिसर को आयुर्वेदिक औषधियों का क्षेत्र घोषित करके यहाँ वनस्पति औषधियों के लिये आरक्षित करने के लिये विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण करवाना चाहिये। इससे इस परिसर के सुशीक्षित बेरोजगार युवाओं तथा महिलाओं को रोजगार उपलव्ध होगा तथा आयुर्वेदिक औषधियों का विकास संभव है।