Published On : Thu, Sep 11th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

आनंदम वर्ल्ड सिटी विवाद में गोदरेज प्रॉपर्टीज को झटका, 244 करोड़ रुपये 12% ब्याज समेत चुकाने का आदेश

Advertisement

नागपुर: देश की नामी रियल एस्टेट कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड को नागपुर स्थित ‘आनंदम वर्ल्ड सिटी परियोजना’ मामले में बड़ा कानूनी झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता वाले आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने कंपनी के 1,051.52 करोड़ रुपये के काउंटर-क्लेम को खारिज करते हुए उसे गोल्डब्रिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. को 244 करोड़ रुपये 12% वार्षिक ब्याज समेत अदा करने का आदेश दिया।

क्या पाया गया ट्रिब्यूनल ने

2011 से 2015 के बीच गोदरेज प्रॉपर्टीज और गोल्डब्रिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच रेजिडेंशियल जोन और विला प्रोजेक्ट्स के विकास व मार्केटिंग के लिए कई समझौते हुए थे। लेकिन ट्रिब्यूनल ने पाया कि गोदरेज ने:

Gold Rate
22 dec 2025
Gold 24 KT ₹ 1,33,300/-
Gold 22 KT ₹ 1,24,000 /-
Silver/Kg ₹ 2,09,200/-
Platinum ₹ 60,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above
  • फ्लैट बेचने में विफलता दिखाई, जबकि ग्राहकों से पैसे वसूले गए।
  • विला प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ दिया।
  • बुनियादी सुविधाएं तक पूरी नहीं कीं।
  • रेजिडेंशियल जोन-2 प्रोजेक्ट बीच में ही छोड़ दिया।

ट्रिब्यूनल ने इसे “जिम्मेदारियों का सामूहिक परित्याग” और “अनुबंधों का गंभीर उल्लंघन” करार दिया।

दावे और प्रतिदावे

  • गोल्डब्रिक्स ने शुरुआत में 1,366 करोड़ रुपये का दावा किया था।
  • जवाब में गोदरेज प्रॉपर्टीज ने 1,051.52 करोड़ रुपये का काउंटर-क्लेम किया।
  • दोनों पक्षों की जांच-पड़ताल के बाद ट्रिब्यूनल ने गोल्डब्रिक्स के पक्ष में फैसला सुनाया और गोदरेज को 244 करोड़ रुपये ब्याज सहित चुकाने का आदेश दिया।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला रियल एस्टेट कंपनियों के लिए एक बड़ी नजीर है।

“इतना भारी मुआवज़ा और ऊंची ब्याज दर इस बात का संकेत है कि अनुबंधों के पालन और जवाबदेही से कोई समझौता नहीं होगा।”

उनके मुताबिक, भले ही यह राशि गोदरेज प्रॉपर्टीज की वित्तीय स्थिति को हिला न पाए, लेकिन इसकी प्रतिष्ठा और साख पर बड़ा असर पड़ेगा।

आगे का रास्ता

संभावना है कि गोदरेज प्रॉपर्टीज इस फैसले को आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन एक्ट-1996 की धारा 34 के तहत चुनौती दे सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी अपीलों में सफलता की संभावना बेहद कम होती है। देरी करने पर 12% वार्षिक ब्याज की वजह से रकम और भी बढ़ सकती है।

इंडस्ट्री पर असर

यह फैसला भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में विवाद निपटान की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है। अधूरी परियोजनाएं और जटिल अनुबंध अक्सर कानूनी लड़ाई तक पहुंच जाते हैं। इस मामले को उद्योग जगत “बेलवेदर केस” के तौर पर देख रहा है।

इस मामले में गोल्डब्रिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ से अधिवक्ता श्याम देवानी (देवानी एसोसिएट्स) और गोदरेज प्रॉपर्टीज की ओर से अग्रवाल लॉ एसोसिएट्स, दिल्ली ने पैरवी की।

GET YOUR OWN WEBSITE
FOR ₹9,999
Domain & Hosting FREE for 1 Year
No Hidden Charges
Advertisement
Advertisement