Published On : Thu, Jan 8th, 2015

अमरावती : कलेक्ट्रेट पर जलाई राजपत्र की होली

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भूमि अधिग्रहण कानून का निषेध

kisan
अमरावती।
किसानों के हितों को भूलाकर अदानी और अंबानी को लाभान्वित करने वाल भूमि अधिग्रहण कानून बनाने वाली मोदी सरकार के निषेधार्थ किसानों ने गुरुवार को तीव्र प्रदर्शन किया. कलेक्ट्रेट पर भूमिअधिग्रहण कानून के नए राजपत्र को आग में फूंक डाला. किसान एकता मंच के बैनर तले संजय कोल्हे के नेतृत्व में किए गए इस आंदोलन में जिले से सैकड़ों किसानों ने सहभाग लेकर धरना दिया. कोल्हे ने कहा मोदी सरकार ने कहा था कि उनकी सरकार आते ही किसानों के भी अच्छे दिन आएंगे, विदर्भ के किसी किसान को आत्महत्या नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन मोदी सरकार को सत्ता मिलते ही, वह किसानों को भूल गये है. 1894 के ब्रिटीशकालीन भूमिअधिग्रहन कानून में 118 वर्ष बाद मनमोहनसिंग सरकार ने वर्ष 2013 में अध्यादेश निकालकर नया कानून बनाया था. इस नये अध्यादेश में निजी कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण करते समय 80 फीसदी किसानों की सहमति लेना आवश्यक था, वहीं यदि सरकारी काम के लिए भूमि अधिग्रहणकरना है तो 70 फीसदी किसानों की सहमति जरुरी थी.

अधिग्रहण जमीन के बदले 4 गुना ज्यादा के दाम से जमीन मूल्य का मुआवजा देना था, जो लोकतांत्रिक फैसला था, लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही 29 दिसंबर 2014 को एक कैबिनेट मीटिंग लेकर किसानों के हित वाले इस कानून को रद्द कर दिया. जिसे 31 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का यह कदम लोकतांत्रिक नहीं बल्कि हिटलरशाही है. उन्हें किसानों से कोई मतलब नहीं है. उन्हें तो केवल अदानी व अंबानी को खुश करना है.

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भूमिअधिग्रहण के इस नये अध्यादेश को रद्द कर सुधारित अध्यादेश लाकर देश भर के करोड़ों अन्यायग्रस्त किसानों को न्याय दे, ऐसी गुहार राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की. जिलाधिकारी के माध्यम से किसानों का यह ज्ञापन राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा गया है. इस समय मनोज तायडे. डा.चंद्रशेखर कुरुलकर, नंदु खेरडे, जगदीश  मुरुनकर, बालासाहेब जवंजाल, गजानन भगत, विजय लिखितकर, विजय निंभोरकर, एकनाथ हिरुलकर, निलेश अघाडे, प्रवीण तट्टे समेत अन्य थे.

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