Published On : Tue, Oct 9th, 2018

नवरात्री उत्सव : पेड एंट्री के नाम से आयोजक खेल रहे आम लोगो को लूटने का खेल

नागपुर: नवरात्री उत्सव के दौरान देश भर की तरह नागपुर में भी कई आयोजन होने जा रहे है। ऐसे कई आयोजनों में एंट्री के लिए मोटी रकम आम जनता से वसूली जाती है लेकिन वसूली गई रकम का लेखा जोखा सरकार के पास से न होने की वजह से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। करों को समाप्त कर केंद्र सरकार द्वारा लायी गई केंद्रीय कर प्रणाली यानि जीएसटी के प्रावधान के मुताबिक ऐसे किसी आयोजन में कमाई गई 20 लाख रूपए तक की रकम जीएसटी के दायरे से बाहर होगी। 20 लाख से अधिक अर्जित रकम पर 18 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। जिसमे 9 फ़ीसदी हिस्सा राज्य का जबकि 9 फीसदी हिस्सा केंद्र के अधीन आएगा।

प्रायोगिक मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रमों में इंटरटेंमेंट टैक्स वसूलने का अधिकार महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय संस्थाओं को दिया गया है। लेकिन आश्चर्य की बात है की मनपा के कर संकलन विभाग को अब तक इस वसूली की प्रणाली की जानकारी ही नहीं है। जिससे अकेले नागपुर शहर से सरकार को करोडो रुपयों के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

Advertisement

उत्सवों या आम मौकों पर ऐसे कई आयोजन होते है जिसमे आयोजक एंट्री फ़ीस या स्टॉल के माध्यम से मोटी रकम वसूलते है लेकिन प्रशासन के पास ऐसे आयोजनों का कोई लेखा जोखा नहीं होने की वजह से राजस्व की वसूली ही नहीं हो पा रही है। पहले इंटरटेंमेंट टैक्स वसूलने का अधिकार जिलाधिकारी के अधीन होता था जो अधिकार नागपुर अब महानगर पालिका के पास है। नागपुर मनपा के कर संकलन और वसूली विभाग के सहायक आयुक्त विजय हुमने के मुताबिक उन्हें इस तरह के कर संकलन को लेकर उन्हें शासन के किसी भी तरह के दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए है। इंटरटेंमेंट टैक्स का मामला फ़िलहाल जीएसटी कार्यालय के अधीन है।

नागपुर स्थित जीएसटी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप गुरुमूर्ति के मुताबिक इंटरटेंमेंट टैक्स वसूली का अधिकार राज्य सरकार के अधीन है । इसके लिए राज्य सरकार को ही नियमावली तैयार करनी है। मान ने कोई इवेंट कंपनी कोई इवेंट करती है तो उसके वार्षिक उत्पादन के आधार पर कर लगेगा। यही नियम किसी निजी आयोजक के लिए भी लागू है।

आयोजक,कम्पनियाँ क्यॉ जनता को लूट रही है ?
शहर में किसी भी आयोजन के लिए एंट्री फीस वसूलना आम चलन हो चला है। ज्यादातर आयोजन छोटी-बड़ी इवेंट कंपनियों के माध्यम से किये जाते है। पेड़ टिकिटों पर 18 फ़ीसदी जीएसटी लगाकर आम लोगो से वसूला जाता है। ऐसे में अगर मान लिया जाये की कोई व्यक्ति ऐसे आयोजन में जाता है जिससे उसके आयोजनक को कमाई 20 लाख रूपए से कम हुई। यानि जीएसटी नियम के मुताबिक वह इंटरटेंमेंट कर से मुक्त हो गया लेकिन उसने टिकिट खरीदने वाले व्यक्ति की 18 फीसदी जीएसटी वसूल किया। उदहारण के लिए अगर टिकिट 1 हजार रूपए की है तो आयोजक ने 180 रूपए अधिक वसूले जो उसकी जेब में गए।

एक दूसरा उदहारण ऐसा भी है। आज कल आयोजक ऑनलाइन वेबसाईट के माध्यम से टिकिट की बिक्री करते है। ऐसी वेबसाईट टिकिट खरीदने के साथ ही 18 फीसदी जीएसटी वसूल लेते है। अब मान लीजिये की किसी ने एक टिकिट ऐसे आयोजन की खरीदी जिससे आयोजक को 20 लाख के भीतर ही मुनाफ़ा हुआ। वह कर मुक्त हो गया बावजूद इसके आम आदमी से 18 फीसदी की अधिक वसूली हुई।

सरकार भी कर व्यवस्था के निर्धारण हो लेकर उहापोह में
राज्य में फ़िलहाल मनोरंजन कर की वसूली पर रोक लगी है। जिसकी बड़ी वजह से सरकार द्वारा किसी खास किस्म की गाइडलाईन का न बन पाना है। सरकार भी पशोपेश में है की आखिर मनोरंजन कर की वसूली की किससे जाये। राज्य में निजी आयोजन को लेकर तय नियमावली नहीं होने के बावजूद भी निजी आयोजक जीएसटी आम नागरिकों से वसूल रहे है। जबकि उन्हें सरकार से जीएसटी लागू होने के साथ से ही अब तक छूट मिली हुई है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement