Published On : Mon, Jan 28th, 2019

स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका पर डाला गया प्रकाश

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नागपुर: हाल ही में मातोश्री लक्ष्मीबाई कामनापुरे विद्यालय, हिंगना में बहुत ही उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस मनाया गया. मुख्याध्यापिका सारिका भेंडे, अध्यक्ष श्री सुरेश कामनापुरे और प्राध्यापक सौम्यजीत ठाकुर ने भाषण दिए और छात्रों ने भी इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए. ठाकुर ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने बड़े नाना अतुल चंद्र कुमार तथा अन्य क्रांतिकारियों के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला.

अतुल चंद्र कुमार (1905-1967) एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, शिक्षाविद, वकील, समाजसेवक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी सहकारी थे. उन्होंने 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन सहित अंग्रेजों के खिलाफ कई सत्याग्रह आंदोलनों में भाग लिया. 1930 के दशक के दौरान कई वर्षों तक उन्हें सश्रम कारावास हुआ और अंग्रेज़ पुलिस के हाथों प्रताड़ना झेलनी पड़ी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सी राजगोपालाचारी की स्वातंत्र पार्टी में तीन दशकों से भी ज़्यादा समय के लंबे राजनैतिक सेवा के दौरान उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण योगदान दिए जिनमें बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल स्टैनली जैक्सन के भारत विरोधी बयान के जवाब में विरोध प्रदर्शन; साइमन कमीशन के खिलाफ आंदोलनों का आयोजन; हरिपुरा और त्रिपुरी कांग्रेस सत्र के अध्यक्ष के रूप में नेताजी के चयन को सक्षम; छात्रों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए नेताजी और सरोजिनी नायडू जैसे नेताओं की बैठकों का बंगाल के कई पाठशालाओं व काॅलेजों में आयोजन करना; 1928 में उत्तरी बंगाल के सुदूर अड़ाईडांगा गाँव में एक स्कूल की स्थापना करना ; चीन-जापान युद्ध के दौरान अगस्त 1938 में चीन में एक वैद्यकीय प्रतिनिधिमंडल भेजने में नेताजी का सहयोग देना; मोहम्मद अली जिन्नाह के भारत में शिक्षण क्षेत्र में सांप्रदायिकरण जैसे नापाक योजना को ए.के फज़लूल हक और शरत चंद्र बोस के साथ मिलकर नाकाम करना; अक्टूबर 1943 में नेताजी द्वारा बर्मा मोर्चे से जापानी पनडुब्बी में भेजे गए दूत के ज़रिए एक मिशन के संबंधित सूचना और दस्तावेज़ों को प्राप्त करना और नेताजी के निर्देशों का पालन करते हुए उनके मिशन को कामयाब जैसे देशभक्ति से ओतप्रोत आज़ादी की लड़ाइयों का समावेश रहा. पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्र के प्रति उनके अपार योगदान के सम्मान में मालदा में एक बाजार का नाम ‘अतुल मार्केट’ रखा. अतुल बाबू के सिद्धांतों का पालन करते हुए, सौम्यजीत भी समाज में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्रयत्नशील हैं .