Published On : Thu, Oct 21st, 2021

रीच II और रीच IV में फ्लैश

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बट वेल्डिंग का काम हुआ पूरा

नागपुर: महामेट्रो के रिच II रीच IV पर बिछाई गई रेल पटरी के लिए फ़्लैश बट वेल्डिंग का काम पूरा हो चुका है। अन्य की तुलना में फ़्लैश बट वेल्डिंग सबसे मजबूत होती है। इस वेल्ड्स में मुख्य रेल की 95 प्रतिशत ताकत होती है। क्योकि इस पद्धति के दौरान रेल के धातुशास्त्र को बदला नहीं जाता है। ट्रैक प्लिंथ की ढलाई से पहले लांग वेल्ड रेल पैनल निर्माण के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

नागपुर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में इस्तेमाल की जाने वाली रेल सामान्य तौर पर 18 मीटर और 25 मीटर लंबी होती है। ट्रैक के अनुसार विभिन्न लंबाई के लंबे-वेल्डेड पैनल बनाने के लिए अलग-अलग रेलों को एक साथ वेल्डेड किया जाता है।

वेल्डिंग दो तरीकों से होती।

फ्लैश बट वेल्डिंग (एफबीडब्ल्यू): इस वेल्ड्स में इसकी मूल रेल की 95% ताकत होती है क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान रेल की धातु शास्त्र को नहीं बदला जाता है। ट्रैक प्लिंथ की ढलाई से पहले लॉन्ग वेल्ड रेल (LWR) पैनल बनाने के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

एल्युमिनियम थर्मिट वेल्डिंग (एटीडब्ल्यू): इस प्रक्रिया में दो रेल पैनलों के बीच पिघला हुआ लौह धातु डालना शामिल है, जहां 25 मिलीमीटर का अंतर बचा है। धातु मूल रेल के बीच गोंद के रूप में कार्य करता है। ट्रैक बिछाने का काम समाप्त होने के बाद यह प्रक्रिया आम तौर पर लॉन्ग वेल्ड रेल पैनल को कंटीन्यूअस वेल्ड रेल (CWR) पैनल में बदलने के लिए अपनाई जाती है। इन वेल्ड्स में मूल रेल की 45% ताकत होती है क्योंकि इसमें बाहरी सामग्री को रेल के बीच डाला जाता है।

नागपुर मेट्रो में, 350 मीटर की औसत लंबाई के LWR पैनल बनाने के लिए 18 मीटर और 25 मीटर रेल को वेल्ड किया गया है। नागपुर मेट्रो रेल में बनाया गया सबसे लंबा रेल पैनल 24 , 25 मीटर लंबी रेल के साथ 600 मीटर लंबा है।

रीच II और IV में, अक्टूबर के महीने में 100% रेल पैनल को पूरा करने के लिए कुल 3,064 फ्लैश बट वेल्ड किए गए हैं।

एटीडब्लू का उपयोग नागपुर मेट्रो में FBW के मुकाबले का केवल 10% है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि ट्रैक को ज्यादा से ज्यादा मजबूती मिले।