Published On : Tue, Jan 16th, 2018

९९ करोड़ की बंजर जमीन के बदले ३२१ करोड़ की बहुमूल्य जमीन का त्याग

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Gorewada, Nagpur (2)

नागपुर: मनपा चुंगी ख़त्म होते ही आर्थिक रूप से लड़खड़ाने लगी थी. आज तो यह आलम है कि कुछ लोगों ने नायब तरीके ढूंढ लूट मचा रखी है. तो अधिकांश आर्थिक अड़चन का रोना रो रहे बावजूद प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंगना और तो और मनपा प्रशासन ने एफडीसीएम के ९९ करोड़ की ‘नॉन फारेस्ट’ वाली बंजर जमीन के एवज में ३२१ करोड़ की उन्नत व प्रदूषणमुक्त, निसर्गमय जमीन सत्ताधारी सफेदपोशों को खुश करने के लिए एफडीसीएम को दान में दे दी. आर्थिक अड़चन में यह सौदा समझ से परे तो है ही साथ में मनपा के लिए अब तक का सबसे बड़ा नुकसान कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी.

ज्ञात हो कि गोरेवाड़ा जंगल के मध्य ‘डैम’ व आसपास की जमीन अंग्रेजों ने नागपुर शहर के अधीन किया था. फिर ८० से ९० के दशक के दरम्यान जब गठबंधन सरकार थी, इसे वन विभाग के अधीन कर दिया गया था. इस सूरत में भी तालाब व आसपास के इलाकों पर कब्ज़ा मनपा के जलप्रदाय विभाग के पास ही है.

राज्य का मुख्यमंत्री कार्यालय के दिशा निर्देश पर गोरेवाड़ा संरक्षित जंगल के आसपास मनोरंजन सह रहने आदि की व्यवस्था के लिए देश-विदेश के कई सम्बंधित कंपनियों को मुआयना करवाया गया लेकिन बात नहीं बनी.आखिर-आखिर में मुंबई के एक चर्चित कंपनी के प्रतिनिधियों का दौरा हुआ.उन्हें पहले मौजा गोरेवाड़ा स्थित एफडीसीएम की खसरा क्रमांक २/१,२/२,२/३ अंतर्गत जमीन का मुआयना करवाया गया. उन्होंने इस बंजर जमीन पर करोडों खर्च कर उद्योग खड़ा करने मामले में हाथ खड़ा कर दिया,जिसकी बाजार भाव ९९,७२,३०,००० आंकी गई हैं.फिर उन्हें खसरा क्रमांक १०६(भाग),११३(भाग),११८,११९,१२०, १२१,१२२ अंतर्गत मनपा अधीनस्त गोरेवाड़ा तालाब से लगी प्रदूषणमुक्त, निसर्गमय वातावरण से लबरेज शहर के एकदम समीप इस सर्वगुण संपन्न परिसर का भी दर्शन करवाया गया.

इसका बाजार भाव ३२१,६८,०५,००० है. इस परिसर को देख उक्त समूह ( मनपा और शहर में इस समूह के २ उपक्रम शुरू हैं ) के प्रतिनिधियों ने मुआयना करवाने वालों को साफ़-साफ़ शब्दों में संकेत दिया कि यह जगह उपलब्ध करवा सकते हैं तो हम यहां प्रकल्प लगाने में इच्छुक हैं. इसके बाद जब जमीन के मालिकाना हक़ मामले में तह में गए तो उन्हें पता चला कि यह जमीन की ७/१२ पर मनपा का नाम अंकित है. इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर मनपा प्रशासन एफडीसीएम को जमीन हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की. जिसका कानूनन प्रक्रिया मनपा प्रशासन की कुछ चिन्हित त्रुटि के कारण थमा हुआ है. पिछले आमसभा में विषय आया भी था लेकिन मनपायुक्त की अनुपस्थिति की वजह से विषय का पुकारा नहीं हो पाया.इसलिए आगामी २० जनवरी २०१८ को होने वाली आमसभा में पुनः मंजूरी हेतु विषय पत्रिका में रखा गया है. क्योंकि यह विषय त्रुटि सुधार के लिए पुनः आमसभा में लाई गई है. इसलिए इस विषय पर ज्यादा चर्चा करने के पहले तय रणनीति के तहत मंजूरी देकर एफडीसीएम का मार्ग प्रसस्त कर सकती है.

जी को मिलेंगे कई स्थानीय निवेशक
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार तय निवेशक कंपनी के बैनर तले स्थानीय भाजपाई समर्थक निवेशकों ने भी निवेश कर प्रकल्प का सहयोगी बनने की हामी भरी. इससे मुख्य निवेशक जी को बड़ी राहत मिलेगी.

शहरी विकास मंत्रालय के पाले में गेंद
मनपा प्रशासन ने एफडीसीएम को उक्त प्रकल्प के लिए जमीन देने हेतु गोरेवाड़ा तालाब की जमीन देने व उनकी बंजर जमीन लेने की हमीपत्र शहरी विकास मंत्रालय को भेज चुकी है. शहरी विकास मंत्रालय इस प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति देने के बाद उनके ही आदेश पर जिला प्रशासन यह बेशकीमती जमीन एफडीसीएम को हस्तांतरित कर देगी.

पार्टनरशिप में मनपा खुद शुरू करें प्रकल्प
आरटीआई कार्यकर्ता संदीप अग्रवाल ने मनपा प्रशासन की उक्त पहल को हास्यास्पद बतलाया. कड़की में ९९ करोड़ की बंजर जमीन के बजाय अपनी बेशकीमती ३२१ करोड़ की जमीन एफडीसीएम को नहीं देना चाहिए था. बल्कि सीधे उक्त निवेशक को देकर मनपा ने कड़की में अपनी आर्थिक स्थिति सुधारनी चाहिए थी. या फिर बाजार मूल्य में लीज पर देने से मनपा को लाभ होता.

एफडीसीएम मुनाफे में
एफडीसीएम की बंजर जमीन को काफी वर्षों तक उसका आर्थिक लाभ नहीं मिलता. इसी बीच गोरेवाड़ा तालाब की मनपा अधीनस्त जमीन मिलने से एफडीसीएम को दोहरा मुनाफा होगा. मनपा को बंजर जमीन दे दी और उनकी बेशकीमती जमीन ले ली. साथ में उक्त प्रकल्प से कुछ समय बाद करोड़ो का सालाना कमाई अलग होगी. इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में मनपा से बेशकीमती जमीन दिलवाने में सहयोग करने वाले को क्या पदोन्नत किया जाएगा ?

—राजीव रंजन कुशवाहा