Published On : Thu, Oct 12th, 2017

एफडीए के पांच फूड सेफ्टी अधिकारियों के जिम्मे शहर के नागरिकों की सेहत का ज़िम्मा

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नागपुर: दिवाली में मिठाई समेत अन्य खाद्य पदार्थो में मिलावट न हो इस पर नजर रखने के लिए एफडीए (अन्न व औषधि प्रशासन विभाग) कम पड़ता दिखाई दे रहा है. क्योंकि नागपुर शहर में केवल 5 ही फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर यहां मौजूद हैं. जबकि नागपुर में खोवा, फरसाण, मिठाई की दुकानों की तादाद हजारों में है. ऐसे में यह सवाल उठाना लाजमी है कि केवल नागपुर के लिए 5 फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर के होने से क्या खाद्य पदार्थो में मिलावट को रोका जा सकता है? तो जबाव हो सकता है, बिलकुल नहीं! बात करें नागपुर जिले के ग्रामीण भाग के दुकानों की, तो इसके लिए भी 5 ही फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर हैं. मतलब कुल मिलाकर इन दस लोगों पर नागपुर शहर और नागपुर जिले के ग्रामीण भाग में जाकर खाद्य पदार्थों के नमूनों को इकठ्ठा करना है. अन्न विभाग की माने तो त्योहारों में मुहीम चलाकर काम किया जाता है और हर दिन करीब 1 से 2 नमूने जब्त कर जांच के लिए पुणे की लैब भेजा जाता है. जिसकी रिपोर्ट आने में भी हफ्तों लग जाते हैं. क्योंकि यहां पर इनकी अपनी कोई लैब भी नहीं है.

जानकारी के अनुसार 2012 से पहले भी यहां पर केवल 10 ही लोग कार्यरत हैं. राज्य सरकार की ओर से यहां फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति के लिए कभी विचार ही नहीं किया गया. जिसके कारण इतने सीमित अधिकारियों के साथ पिछले कई वर्षों से अन्न विभाग काम कर रहा है. हालांकि अधिकारियों की संख्या कम होने के कारण अन्न विभाग की ओर से खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए नागरिकों का भी सहारा लिया जा रहा है और उन्हें फ़ोन नंबर के माध्यम से सूचना देने के लिए भी जागरुक किया जा रहा है. शहर में खाद्य पदार्थ बेचनेवाले, फ़रसान की हजारों दुकाने हैं. जिससे यह उम्मीद करना बेकार है कि जो खाने की वस्तु आप तक पहुंच रही है वो बिलकुल सुरक्षित है. अधिकारी कम होने की वजह से शहर में अवैध खाद्य सामग्रियां जैसे गुटखा, सुगन्धित तंबाकू भी खुलेआम बिकते दिखाई दे रहा है.

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इस बारे में अन्न विभाग के सहायक आयुक्त मिलिंद देशपांडे ने बताया कि नागपुर शहर और ग्रामीण के लिए कुल मिलाकर 10 फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर हैं. नागपुर शहर में दिवाली में रोज 5 लोगों की ओर से 1 या 2 दुकानों से सैंपल लिए जाते हैं. देशपांडे ने यह भी बताया कि 2012 से पहले भी 10 ही फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर नागपुर जिले में थे.

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