जिले की आणेवारी निकली 44 फिसदी
यवतमाल। ब्रिटीशकालीन चल रही आणेवारी किसानों की आज भी जान ले रही है. तो दुसरी ओर हमारेही चुने गए प्रतिनिधी इस आणेवारी के खिलाफ सदन में आवाज उठाने में कम पड रहे है. जिससे यह आणेवारी तथा किसानों की जान लेते हुए चली आ रही है. आणेवारी निकालनेवाले अधिकारी सोयाम यह आणेवारी इतनेही फिसदी है, ऐसा डंके की चोट पर नही कह सकते है. क्योंकि आणेवारी का तरीका इस प्रकार बना हुआ है, की कब कितना फिसदी बताया था और दुसरी बार वही किया जाए तो उसका आकडा बदल जाता है. कुछ ऐसाही किस्सा यवतमाल जिले के 16 तहसीलो के आणेवारी का सामने आया है. पहले 54 फिसदी आणेवारी बतायी गई थी. जब भी आणेवारी 50 फिसदी के उपर होती है तो किसानों को मिलनेवाली सुविधाओं के पैसे देने पडते है. जिसमें फसल कर्ज की किश्त चुकानी पडती है. बच्चों की पढ़ाई की बोर्ड या विश्वविद्यालय की फीस भी देनी पडती है. मगर यही आणेवारी 50 फिसदी से कम रही तो किसानों को खाद, बीज अत्यल्प दाम में मिलता है. उन्हे प्रती हेक्टेयर कुछ राशी सहायता के तौर पर मील जाती है. फसल कर्ज भी उस वर्ष भरना नही पडता है. अब यवतमाल जिले की आणेवारी एकदम 10 फिसदी घटकर 44 हो गई है. अभी भी इस आणेवारी का गणित जोड़तोड़ कर देखा जा रहा है. इसकी अधिकृत घोषणा जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल करनेवाले है. इसलिए बारकाई से जांच हो रही है. मगर अचानक 10 फिसदी आणेवारी में फर्क कैसे आया इसका जबाब उन अधिकारीयों को देते नही बन रहा है. उपर से ही अधिकारीयों के मौखिक निर्देश रहते है की आणेवारी 50 फिसदी से ज्यादा बतानी है. कैसे करना है? इस बारें मे खुद को निर्णय लेना पडता है.
संभाग के आयुक्त ज्ञानेश्वर राजुरकर ने ६ नवंबर को जिले के कुछ किसानों के खेत में पहुंचकर फसलो का निरिक्षण किया था. जिसमें वटफली, कोलुरा, उत्तरवाढोणा, सोनखास, लासीना इन गावों को भेट दी थी. उन किसानों ने भी आयुक्त को लागत का गणित समझाया था. वह गणित समजने के बाद अमरावती से यवतमाल जिले की आणेवारी 54 पर से 44 हो गई. मगर जब किसान चिख-चिख कर बता रहे थे तब उनपर विश्वास नहीं किया जा रहा था. 15 जनवरी को अंतिम आणेवारी घोषीत की जाएगी. अगर आणेवारी का लाभ किसानों को मिलता है तो खेती टैक्स, टैक्स माफी, कृषी पंप के बीजली बिल के 33 फिसदी की कटौती, फसल कर्ज उतने माह के लिए रोका जाता है. बँक को सक्ती की कर्जवसुली करने पर पाबंदी लग जाती है. यवतमाल के 16 तहसीलों की आणेवारी इस प्रकार है, यवतमाल, कलंब, दारव्हा, पुसद मे 42- 42 फिसदी, बाभुलगाव, रालेगाव में 44-44 फिसदी, आर्णी 40 फिसदी, दिग्रस 45 फिसदी, उमरखेड़ 43 फिसदी, महागाव, केलापूर, घाटंजी और मारेगाव 47 फिसदी, झरी 46 फिसदी, वणी 48 फिसदी, नेर 36 फिसदी का समावेश है. सबसे कम आणेवारी नेर की तो सर्वाधिक वणी की निकली है. जिले की 16 तहसीलों का औसतन 44 फिसदी हो रहा है. इसलिए जिले की आणेवारी 44 निकली है.