नागपुर : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में सभी दिग्गज पक्षों को पछाड़ कर भाजपा काफी आगे निकल गई,इस मुहाने के करीब पहुँच गई कि किसी भी अन्य प्रमुख सह अन्य को लेकर सत्ता में आ सकती है.वही दूसरी ओर भाजपा में मुख्यमंत्री बनने के लिए आधा दर्ज़न दावेदार खंभ ठोक दावा करने लगे.इस उथल-पुथल में भाजपा शीर्षस्थ नेताओं को अड़चन में ला दिया और अंत में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा चुनाव पूर्व दिया गया वादा पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई गई. अगर सूत्रों की माने तो वह यह कि दक्षिण-पश्चिम से दूसरी मर्तबा विधायक चुने गए व प्रदेश भाजपाध्यक्ष देवेन्द्र फडणवीस ही राज्य में भाजपा की ओर से प्रथम मुख्यमंत्री होंगे। संभवतः वे 30 अक्टूबर बुधवार को शपथ लेंगे।
देवेन्द्र विधानसभा की दर लगातार दो विधानसभा चुनाव क्षेत्रों से लड़ते हुए चौथी दफे पहुंचे।उनके राजनैतिक जीवन में सबसे कम उम्र में नगरसेवक,महापौर,विधायक,भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री बनने जा रहे है.
मुख्यमंत्री पद के अन्य दावेदारों में एकनाथराव खडसे,विनोद तावड़े,पंकजा मुंडे,सुधीर मुनगंटीवार,देवेन्द्र फडणवीस और भारी-भरक्कम नितिन गडकरी का समावेश था.इनमे से काँटे की टक्कर सार्वजानिक रूप से फडणवीस और गडकरी के मध्य हो रही थी.इस दौरान फडणवीस काफी सयंम बरतते हुए आश्वस्त थे,तो गडकरी काफी असयंम थे.गडकरी ने अप्रत्यक्ष रूप से काफी असफल प्रयास कर अपने पक्ष में पार्टी को झुकना चाहा। लेकिन पार्टी नेताओं के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
दूसरी ओर गडकरी समर्थकों (पहली दफे चुन कर आये या दूसरी दफे जीते जो सभागृह में एक शब्द नहीं बोल सकते ) ने फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिए असक्षम कह कर फडणवीस की कार्यक्षमता को ललकारते रहे.जबकि सिमित जनप्रतिनिधियों,पत्रकारों को ही मालूम है कि विदर्भ से विदर्भ के समस्याओं आदि मामलों के लिए देवेन्द्र के अलावा और कोई चिल्लाता या चीखता नहीं है,जिसे प्रत्येक अधिवेशन में विपक्ष ने सराहा। फिर विरोधियों ने यह हवा गर्म की कि महाराष्ट्र में पश्चिम महाराष्ट्र और मराठा नेता का जलजला है,वहाँ देवेन्द्र नहीं बल्कि गडकरी ही टिक पाएंगे। वही देवेन्द्र समर्थकों का मानना है कि मौका मिलेगा तो हम अपनी सक्षमता का शत-प्रतिशत परिचय सम्पूर्ण महाराष्ट्र की जनता को करवाएंगे। तब भाजपा नेता भी फक्र करेंगे कि उनका निर्णय गलत नहीं था.
-राजीव रंजन कुशवाहा