Published On : Tue, Mar 30th, 2021

पूर्व सभापति ने निर्णय लेने के बजाय साधी चुप्पी

Advertisement

– आयुक्त ने 12-11-20 को मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में समिति गठित की लेकिन आजतक अंतिम रिपोर्ट तैयार नहीं किया गया,पूर्व महापौर ने 2 दफे आयुक्त,महापौर,मुख्य अभियंता को लिखा पत्र

नागपुर: मनपा की तथाकथित CE उर्फ़ मुख्य अभियंता के बेहद करीबी ठेकेदार कंपनी मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा व मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी समूह ने मनपा के सम्बंधित अधिकारियों संग सीमेंट सड़क फेज-2 के टेंडर सह भुगतान घोटाले को सफल अंजाम दिया।

Gold Rate
24 May 2025
Gold 24 KT 96,300/-
Gold 22 KT 89,600/-
Silver/Kg 98,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

बेशक NAGPUR TODAY ने इसका पर्दाफाश मनपा से ही प्राप्त कागजातों के आधार पर किया।पूर्व महापौर के दबाव में आयुक्त ने मनपा की तथाकथित CE के ही नेतृत्व में एक जाँच समिति गठित की,इस सम्बन्ध में पूर्व महापौर ने 2 पत्र भी लिखे लेकिन आजतक समिति की अंतिम जाँच रिपोर्ट तैयार नहीं हुई.रिपोर्ट की प्रत पूर्व स्थाई समिति सभापति के समक्ष पहुंची,लेकिन उन्होंने कार्रवाई की बजाय चुप्पी साध मामला दबाने की कोशिश की.

याद रहे कि M/S ASHWINI INFRA,MUMBAI AUR M/S DC GURBAKSHANI ने मनपा PWD विभाग के संग सांठगांठ कर CEMENT ROAD PHASE-2 का TENDER बिना पूर्ण कागजातों के आधार पर हासिल कर लिया।इसके बाद PWD और CAFO के मदद से 75 से 80% का भुगतान भी निकाल लिया।

जब मामला NAGPUR TODAY E-PORTAL ने सार्वजानिक किया तो एमओडीआई फाउंडेशन ने आयुक्त से मुलाकात कर ठोस कार्रवाई की मांग की.इस दौरान तत्कालीन महापौर संदीप जोशी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जाँच समिति गठित की ,लेकिन आयुक्त ने इस समिति को गैरकानूनी करार कर नई जाँच समिति दोषी ठेकेदार कंपनी के करीबी मुख्य अभियंता के नेतृत्व में बनाई।इस अभियंता ने समिति के अन्य सदस्यों को दरकिनार कर ठेकेदार के पक्ष में रिपोर्ट तैयार करने की कोशिश भी की लेकिन बात नहीं बनी.तब से अबतक पूर्व महापौर ने 2 दफे आयुक्त और 1-1 दफे महापौर और CE को पत्र लिख जल्द से जल्द निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार कर दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग दोहरा चुके हैं.

मनपा के एक अभियंता के करीबी के अनुसार पूर्व स्थाई समिति सभापति के कार्यकाल में बारी दबाव के तहत एक रिपोर्ट CE ने तैयार कर पूर्व स्थाई समिति सभापति को सौंपा था,उस रिपोर्ट में अधिकारियों संग ठेकेदारों का दोष दर्शाया गया था.इस रिपोर्ट पर निर्णय लेने के बजाय पूर्व स्थाई समिति सभापति ने सम्बंधित किसी से उसी दिन शाम को मुलाकात भी की और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।

समिति गठित होने के बाद 2 दफे पूर्व महापौर जोशी ने आयुक्त,महापौर,मुख्य अभियंता को पत्र लिख निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की और यह भाई आशंका जताई की रिपोर्ट तैयार करने में अधिकारी -दोषी ठेकेदारों की मिलीभगत हैं,इससे जाँच प्रभावित हो सकती हैं.

दूसरी ओर RTI के तहत उक्त रिपोर्ट सम्बन्धी जानकारी मांगने पर मुख्य अभियंता कार्यालय के उपअभियंता ने लिखित जानकारी दी कि रिपोर्ट की तैयारी अंतिम चरण में हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि साढ़े 3 माह में एक रिपोर्ट तैयार नहीं हो पा रही,अर्थात सम्बंधित उक्त जाँच समिति में शामिल अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी संदिग्ध हैं.

इस सम्बन्ध में जाँच समिति सदस्य CAFO दोषी ठेकेदार कंपनी को भुगतान करने हेतु आतुर नज़र आ रहे,लकड़गंज जोन के उपअभियंता गेडाम ने भी उक्त दोषी ठेकेदार कंपनी का फाइनल बिल तैयार कर उसे मंजूरी दिलवाने हेतु सक्रिय बताए जा रहे.जबकि जबतक जाँच रिपोर्ट तैयार नहीं होती और रिपोर्ट के सिफारिश अनुसार कार्रवाई नहीं होती,तबतक डीसी ग़ुरबक्षाणी और अश्विनी इंफ़्रा को किसी भी तरह का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए,लेकिन यह मनपा हैं,यहाँ आयुक्त को कोई VALUE नहीं,सब चलता हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement