Published On : Mon, Aug 13th, 2018

जरीपटका : 200 दूकानदारों को नोटिस

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नागपुर: ऐसा लगता है कि मनपा को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं है. शीर्ष अदालत ने जरीपटका में 60 फीट चौड़ी सड़क बनाने तथा दूकानदारों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने का स्पष्ट आदेश दिया है. बावजूद इसके मनपा के भ्रष्ट अधिकारियों ने अतिक्रमणकारियों को बचाने के लिए कहीं 9, कहीं 12 और कहीं 15 मीटर की सड़क बनाई है.

इस समस्या व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नागरिक दिलीप संतवानी ने बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर कर मनपा को 40 की बजाय सुको के आदेशानुसार 60 फीट की सड़क निर्माण का निर्देश देने का अनुरोध किया है. यह याचिका संगाती बिल्डिंग से महात्मा गांधी हाईस्कूल तक की चर्चित सड़क के संदर्भ में दाखिल की गई है. उन्होंने बताया कि कई दूकानें व मकान नियमों को ताक पर रखकर निर्धारित सीमा से बाहर बनाए गए हैं जिससे वे एक लाइन में नजर नहीं आते.

अप्रैल 2008 में जब दूकानदार सुको की शरण में गए तो अदालत ने सरकार को कहा कि 60 फीट रोड बना सकती है जिसके लिए उसे अतिक्रमण हटाकर दोनों ओर 10-10 फीट का स्थान छोड़ना होगा. टाउन प्लानिंग में भी 60 फीट का ही प्रावधान है. संतवानी ने उसके बाद मनपा आयुक्त को 3 बार नोटिस जारी कर सुको के आदेश का उल्लंघन की याद दिलाई. तीसरे नोटिस मिलने के बाद मनपा को मजबूर 23 जुलाई 2018 को 200 दूकानदारों को नोटिस जारी कर 18 मीटर सड़क पर किए गए अवैध निर्माण को 3 दिनों के भीतर तोड़ने के निर्देश देने पड़े.

नोटिस देकर फिर चुप बैठी
मनपा ने 23 जुलाई को अवैध निर्माण तोड़ने का नोटिस तो जारी कर दिया लेकिन समयसीमा समाप्त हो जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. मनपा अधीक्षक अभियंता अनिरुद्ध चौगंजकर का कहना है कि 60 फीट रोड इसलिए नहीं बनाया जा रहा है, क्योंकि यह जांच की जा रही है कि कहीं कोई दूकानदार विवादित जमीन का कानूनी हकदार न हो. संतवानी ने आरोप लगाया कि चुनावी चंदा और राजनीतिक संरक्षण के चलते ऊपरी दबाव में मनपा के अधिकारी सुको के आदेश का भी पालन नहीं कर रहे हैं. दूकानदार सड़क तक अपना सामान फैलाकर रखते हैं. बाजार क्षेत्र होने के कारण पार्किंग की समस्या है और ट्राफिक जाम में तो एम्बुलेंस भी फंस जाती है. इस क्षेत्र में अस्पताल व स्कूल भी हैं. छात्रों को तकलीफ होती है.

सुको का आदेश क्यों नहीं मान रहे अधिकारी
जरीपटका के नागरिक अशोक बजाज ने कहा कि इस मुद्दे को सुको के आदेश से पहले ही मनपा के समक्ष उठा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. जब मनपा के अधिकारी सुको के आदेशों का ही पालन नहीं कर रहे तो सामान्य नागरिकों की कौन सुनेगा. मनपा अधिकारी यह मानकर चल रहे हैं कि जो नागरिक जनहित में अपनी जेब से लाखों रुपये लगाकर अदालत भी गया तो एक दिन थक-हारकर बैठ जाएगा.

हालांकि मनपा के मंगलवारी जोन ने दूकानदारों को अतिक्रमण हटाने के नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा.